चारों ओर धूल के गुबार
मकरोनिया चौराहे से किसी भी तरफ आगे बढ़ो और धूल के गुबार उड़ते मिलते हैं, सभी मार्गों पर काम की गति बेहद धीमि चल रही है और इसका खामियाजा यहां से गुजरने वाले राहगीर उठा रहे हैं। जानकारी के अनुसार मकरोनिया से गुजरने वाले इन चारों मार्गों का काम करीब 48 करोड़ रुपए की लागत से पूर्ण किया जाना है।
1- सिविल लाइन-मकरोनिया मार्ग का काम एक साल लेट
शहर को उपनगर से जोडऩे वाले जीरो माइल्स से मकरोनिया चौराहे तक की सड़क का निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा कराया जा रहा है, जिसकी लागत करीब चार से सवा चार करोड़ रुपए है, लेकिन इस सड़क का काम समय-सीमा समाप्त होने के एक साल बाद भी पूर्ण नहीं हो सका है। हालांकि इसमें जितनी गलती ठेकेदार की सामने आई है उससे कहीं ज्यादा शासन की ओर से की गई है। बार-बार भुगतान अटकाने के कारण निर्माण कार्य अब तक पूर्ण नहीं हो सका है, जबकि अनुबंध की शर्तों के अनुसार जुलाई 2018 तक निर्माण एजेंसी को सड़क का काम पूर्ण करना था।
2- मकरोनिया-बहेरिया मार्ग की मियाद समाप्त
मकरोनिया चौराहे से लेकर बहेरिया नेशनल हाइवे के चौंड़ीकरण काम चल रहा है। इसकी लागत करीब 15 करोड़ रुपए बताई गई है, लेकिन यह काम भी समय से पूरा नहीं हो सका। एनएच से मिली जानकारी के अनुसार निर्माण एजेंसी को सड़क के चौंड़ीकरण से लेकर पोल शिफ्टिंग व पुल-पुलियों का निर्माण मई 2019 तक पूर्ण करना था, लेकिन अभी यह काम भी लगभग आधा भी कम्पलीट नहीं हो सका है।
3- बम्हौरी-गढ़पहरा मार्ग के लिए बचे दो माह
लोक निर्माण विभाग द्वारा मकरोनिया चौराहे से नरसिंहपुर मार्ग पर बम्हौरी तिराहे तक व मकरोनिया चौराहे से झांसी मार्ग पर गढ़पहरा तक करीब 14 किलोमीटर लंबी सड़क का चौंड़ीकरण कराया जा रहा है। विभागीय जानकारी के अनुसार इस सड़की लागत करीब 29 करोड़ रुपए है। इसका काम वर्ष 2018 में शुरू किया गया था, लेकिन बार-बार फंडिंग की समस्या के कारण सड़क का आधा काम भी पूर्ण नहीं हो सका है, जबकि अनुबंध की शर्तों के अनुसार निर्माण एजेंसी को जुलाई 2019 तक सड़क का पूरा काम करना था। इस हिसाब से मियाद समाप्त होने में महज दो माह शेष हैं, जिसमें निर्माण कार्य पूर्ण होना संभव नजर नहीं आ रहा है।