टीकमगढ़ से भी बुलाते हैं सर्जन
परिवार नियोजन कार्यक्रम के असफल होने की एक वजह प्रशिक्षित सर्जनों की कमी होना है। जिले में एक सर्जन को ही नसबंदी ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण प्राप्त है। कई बार तो स्थिति यह बनती है कि टीकमगढ़ से सर्जन बुलाने पड़ते हैं। जिले में नसबंदी ऑपरेशन के लिए सिर्फ देवरी बीएमओ डॉ. एमके जैन ही बचे हैं। डॉ. दिवाकर मिश्रा रिटायर्ड हो चुके हैं।
अंतरा से बच्चों के बीच बना रहे अंतर
नसबंदी के अलावा कई तरह के अभियान बच्चों के बीच अंतर रखने के लिए चलाए जा रहे हैं। इनमें छाया, अंतरा, कॉपर टी आदि शामिल हैं। अंतरा का तीन महीने का कोर्स प्रचलन में आ रहा है। जिला अस्पताल में इसके इंजेक्शन नि:शुल्क लगाए जाते हैं, लेकिन साइड इफेक्ट होने के कारण डर से महिलाएं इसका उपयोग नहीं कर रही हैं।
एक्सपर्ट-व्यू
नसबंदी के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता है। पुरुषों में नसबंदी न कराने के पीछे कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण यह है कि लोगों को भ्रांतियां हैं कि ऑपरेशन होने के बाद शारीरिक दुर्बलता आती है और पुरुष प्रवत्ति में बदलाव आ जाता है। समान्य व्यक्ति की तरह से नहीं रहता। जबकि एेसा कुछ भी नहीं है। इसे ऑपरेशन जरूर कहा जाता है, लेकिन इसमें किसी भी प्रकार के टांके नहीं लगाए जाते हैं। मात्र २ मिनट में यह ऑपरेशन हो जाता है। दो बच्चे के बाद पुरुषों को चाहिए कि वह नसबंदी कराएं और जनसंख्या नियंत्रण में सहयोग प्रदान करें।
डॉ. एमएस सागर, सीएमएचओ
यह दी जाती है राशि
महिला नसबंदी- २ हजार रुपए
पुरुष नसबंदी- ३ हजार रुपए
नसबंदी न कराने के पीछे यह भी हैं कारण
ठ्ठ दो बेटियों के बाद बेटी
की चाहत रखना।
ठ्ठ नसबंदी कराने के
दौरान कैज्युअल्टी का डर।
ठ्ठ शिविरों में सुविधाओं
की कमी होना।
&लक्ष्य को पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह बात सही है कि स्वास्थ्य विभाग ने नसबंदी ऑपरेशनों की संख्या ३० से बढ़ाकर ५० कर दी है। सर्जन की कमी है, लेकिन उसके लिए नए सर्जनों को प्रशिक्षण
दिलाया जाएगा।
डॉ. एनके सैनी, प्रभारी परिवार नियोजन