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mp election 2018 : यह राजा बिलहरा है, हम तो पानी फ्री में दे रहे, वरना लोगों को खरीदना पड़ता है

सुरखी विधानसभा में पानी का मुद्दा तय करेगा भावी विधायक

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surkhi constituency ground report

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सागर. राहगीर बोला भैया पानी देना, दुकानदार बोला ये लो। राहगीर: यह तो गंदा व मटमैला है, साफ पानी दो। दुकानदार: यही पानी है, यह राजा बिलहरा है, यहां सिर्फ राहगीरों को ही फ्री में पीने के लिए पानी दे देते हैं वरना यहां पर हर व्यक्ति को अपने घर के लिए पानी खरीदना पड़ता है। मानवता गरीबों तक ही सीमित रह गई है वरना बड़े लोग तो टैंकरों से पानी बेच रहे हैं। यह वाकया तब घटित हुआ जब पत्रिका की टीम राजा बिलहरा गांव के बस स्टैंड पहुंची। पत्रिका ने स्थानीय लोगों से पानी का जैसे ही राग छेड़ा तो उनका दर्द आंखों के साथ कड़वे बोलों के साथ छलक उठा।

क्षेत्र में टैंकरों से पानी की सप्लाई करने वाले शिवम सिंह राजपूत ने बताया कि बिलहरा जैसे सुरखी विधानसभा क्षेत्र में दर्जनों गांव हैं जहां पर पेयजल का संकट बारहों महीने रहता है। दुकानदार सौरभ पटेल बताते हैं, वर्तमान में 2 रुपए प्रति डिब्बा (15 लीटर) पानी बेचा जा रहा है, जो गर्मी के मौसम में और महंगा हो जाता है। क्षेत्र में न तो कुओं में पानी ठहरता है और न ही हैंडपंप सफल हैं।

सुरखी विस की सबसे बड़ी ग्राम पंचायतों में से एक जैसीनगर में भी पेयजल संकट कम नहीं है। यहां पर आधे गांव में ही दो या तीन में जलापूर्ति होती है। आधा क्षेत्र हैंडपंपों व कुओं से पीने के लिए पानी भरता है। जनवरी-2018 में सांसद लक्ष्मीनारायण यादव व क्षेत्रीय विधायक पारुल साहू ने ओवर हेड टैंक का भूमिपूजन किया था, जिसका काम तीन दिन पहले आदर्श आचार संहिता लगने के बाद शुरू हुआ है।
बीड़ी उद्योग बंद, पूरा क्षेत्र हुआ बेरोजगार
बिलहरा के ग्रामीण संतोष सेन, कलू पटेल बताते हैं कि कुछ समय पहले तक इस क्षेत्र में बीड़ी के पांच ब्रांड चलते थे, लेकिन अब सब ने अपने बीड़ी के सट्टा बंद कर दिए हैं। यही हाल जैसीनगर क्षेत्र का है। इन दोनों प्रमुख क्षेत्रों के अलावा लगभग सभी गांवों में महिलाओं व बुजुर्गों के लिए बीड़ी उद्योग ही रोजगार का बड़ा साधन था जो बंद होने के कारण क्षेत्र में पलायन बढ़ गया है।

पानी रहेगा इस क्षेत्र का चुनावी मुद्दा
विधानसभा चुनाव में सुरखी क्षेत्र का मुद्दा इस बार पानी ही रहेगा। पिछले पांच सालों के कार्यकाल से जनता असंतुष्ट दिख रही है। लोग बदलाव की भी बात कह रहे हैं। इधर, क्षेत्र में जातिगत राजनीति करने वालों के लिए भी अच्छे संकेत नहीं हैं। क्षेत्रवासियों का मानना है कि चुनाव में लोगों को जातिगत बांटने के बाद फिर नेता क्षेत्र को छोड़ अपने चापलूसों को ही अगले पांच सालों तक लाभ पहुंचाते हैं।



मुख्य मार्गों के अलावा सभी सड़कें खराब

सुरखी विस क्षेत्र में राहतगढ़ के आसपास के क्षेत्रों को छोड़ दिया जाए तो मुख्य मार्गों के अलावा गांवों को आपस में जोडऩे वाली ज्यादातर सड़कें गुड्ढों में परिवर्तित हो गईं हैं। राजा बिलहरा क्षेत्र की आबादी करीब १६ हजार बताई जा रही है जिनके लिए जिला मुख्यालय सागर तक पहुंचने के लिए राजघाट वाला मार्ग नजदीक है, लेकिन यहां पर सड़क का नामो-निशान तक नहीं है। चितौरा से आकर जाने के लिए करीब 11 से 13 किलोमीटर का ज्यादा चक्कर काटना पड़ता है।


आचार संहिता लगते ही क्षेत्र के नेताओं को पानी का मसला याद आ गया और आनन-फानन में ओएचटी (ओवरहेड टैंक) का निर्माण शुरू करा दिया, लेकिन वर्तमान में इसका सिर्फ बेस ही बन पाया है।