
- छतरपुर, टीकमगढ़, दमोह, सागर, पन्ना से हो रहा है पलायन
- रबी सीजन खत्म होते ही अधिकांश मजदूर उत्तर भारत की ओर कर जाते हैं कूच
सागर. अपार खनिज संपदा के लिए पहचान रखने वाले बुंदेलखंड में हर साल लाखों लोग दो जून की रोटी के लिए पलायन करते हैं। अंचल में सबसे ज्यादा पलायन रबी सीजन के बीतने के बाद शुरू होता है। अनुमान के मुताबिक बुंदेलखंड से करीब 5 लाख लोग रोजगार की तलाश में प्रदेश व देश के अन्य शहरों के लिए कूच कर जाते हैं।
बुंदेलखंड से सिर्फ मजदूर वर्ग के लोग ही नहीं बल्कि शिक्षित बेरोजगार भी महानगरों की ओर भाग रहे हैं। वहीं पिछले कुछ वर्षों से शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी अंचल के करीब 50 हजार बच्चे भोपाल, इंदौर, कोटा, दिल्ली समेत अन्य स्थानों पर जा रहे हैं।
विशेषज्ञों की माने तो करीब 15 वर्ष पहले पलायन को लेकर बुंदेलखंड में सर्वे हुआ था, जिसमें यह बात सामने आई थी कि मप्र में सबसे ज्यादा पलायन छतरपुर, टीकमगढ़ व दमोह जिले से होता है। इसके बाद केंद्र व राज्य सरकार की ओर से प्रयास तो हुए लेकिन वो नाकाफी रहे।
- टीकमगढ़ जिले में एक से डेढ़ लाख लोग हर साल पलायन करते हैं। सबसे ज्यादा पलायन पलेरा, खरगापुर, जतारा, बल्देवगढ़, मोहनगढ़ में देखने को मिलता है। इसके साथ ही निवाड़ी जिले में पृथ्वीपुर, निवाड़ी तहसील से ज्यादा पलायन की स्थिति निर्मित हो रही है।
- छतरपुर जिले के बड़ामलहरा, घुवारा, बकस्वाहा, गौरिहार, चंदला, लवकुशनगर, राजनगर, नौगांव, महराजपुर, बिजावर तहसील में ज्यादा पलायन है। यहां से हर साल एक लाख से ज्यादा लोग दिल्ली व उत्तर भारत के लिए कूच करते हैं।
- दमोह जिले से जबेरा, तेंदूखेड़ा, हटा, बटियागढ़, पथरिया, पटेरा आदि क्षेत्रों से करीब एक लाख लोग दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुडग़ांव आदि क्षेत्रों में रोजगार के लिए जाते हैं।
- सागर जिले में बंडा, देवरी, सुरखी विधानसभा क्षेत्रों में ज्यादा पलायन देखने को मिलता है। करीब 28 लाख की आबादी वाले जिले से एक लाख से ज्यादा लोग बाहर जाकर काम करते हैं।
दो तरह के प्रयासों से ही रुक सकता है पलायन
बुंदेलखंड प्रदेश का एक ऐसा क्षेत्र है, जहां से हर साल सबसे ज्यादा पलायन होता है। इसको रोकने के लिए दो प्रयास असरदार साबित हो सकते हैं। पहला लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जाएं और दूसरा स्वास्थ्य व शिक्षा की व्यवस्था भी स्थानीय स्तर पर हो। कोविड के दौर में जब लोग बाहर थे, तो उनके सामने यह समस्या आई थी कि उनके साथ वहां पर कोई भी नहीं था। इस वजह से लोग अपने जिले व गांव में रहना तो चाहते हैं लेकिन जब उन्हें रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य की सही सुविधा नहीं मिल पाती है तो वे पलायन कर जाते हैं। - प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत, एचओडी, समाजशास्त्र विभाग, डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि
Published on:
03 Jun 2024 01:32 am
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