पांच साल में महिलाओं के मुकाबले पुरुष न के बराबर
सागर•Jan 23, 2022 / 09:29 pm•
sachendra tiwari
This news came about vasectomy
बीना. परिवार नियोजन में निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार मशक्कत करता है, लेकिन अभी तक परिवार नियोजन में ज्यादातर महिलाएं ही आगे आई हैं। विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद नसबंदी के लिए पुरुष आगे नहीं आ रहे हैं। कार्यक्रम की समीक्षा भी नहीं की जाती है। परिवार नियोजन में पुरुषों के आगे आने का आलम यह है कि स्वास्थ्य विभाग की खूब जोर अजमाइश करने के बाद भी वर्ष 2021-22 में नसबंदी कराने जहां पुरुषों की संख्या एक है, तो वहीं महिलाओं ने परिवार नियोजन में बढ़ चढ़कर भाग लेते हुए 489 महिलाओं ने नसबंदी कराई। विभाग के अफसरों की ओर से भले ही पुरुषों को नसबंदी का संदेश दिया जा रहा है, लेकिन उसका असर पुरुषों पर नहीं पड़ रहा है। महिलाओं ने नसबंदी में दिलचस्पी दिखाने के साथ अन्य संसाधनों को अपनाने में भी पुरुषों को पछाड़ा है। महिलाओं ने परिवार नियोजन संबंधी दवाओं का भी सहारा लिया है। अधिकारियों का कहना है कि पुरुष, नसबंदी के प्रति कम जागरूक है पुरुषों में कई तरह का भ्रम रहता है, जिसे जागरूक करके दूर किया जाता है।
प्रोत्साहन राशि के बाद भी नहीं ले रहे रुचि
नसबंदी करवाने वाले पुरुषों को प्रदेश सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। जागरूकता व संदेशजनक कार्यक्रम भी चलाए जाते है, लेकिन पुरुष वर्ग पर उसका असर नहीं दिखता है।
नसबंदी को लेकर भ्रम
– नसबंदी के बाद बीमारी होने, कमजोर होने का भ्रम है।
– पुरुष नसबंदी में कोई चीरा या टांका नहीं लगता।
– नसबंदी के आधा घंटा बाद व्यक्ति घर जा सकता है।
– नसबंदी के 48 घंटे बाद व्यक्ति सामान्य हो जाता है
नसबंदी के आंकड़े
वर्ष महिला पुरुष
2021-22 489 01
2020-21 464 02
2019-20 740 10
2018-19 510 08
2017-18 592 06
(आंकड़े दिसंबर 2021तक)