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बच्चों को जीने दें उनका बचपन, अभिभावक न डालें दबाव

आज बाल दिवस पर विशेष- बच्चों का बचपन खोए न इसके लिए अभिभावकों और शिक्षकों को मिलकर करने होंगे प्रयास

सागरNov 14, 2018 / 02:47 pm

manish Dubesy

Today is special on Children's Day

Today is special on Children’s Day

रेशु जैन.

सागर. 14 नवंबर का दिन बाल दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है। बचपन एक ऐसी उम्र होती है, जब बगैर किसी तनाव के मस्ती से आनंद लिया जाता है। नन्हे होंठों पर फूलों सी खिलती हंसी, वो मुस्कुराहट, वो शरारत, रूठना, मनाना, जिद पर अड़ जाना ये सब बचपन की पहचान होती है। सच कहें तो बचपन ही वह वक्त होता है, जब हम दुनियादारी के झमेलों से दूर अपनी ही मस्ती में मस्त रहते हैं। लेकिन आज के दौर में बच्चे कई तरह के दबाव में ज्यादा नजर आ रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि माता-पिता हों या अभिभावक बच्चों के प्रति ज्यादा संजीदगी दिखाएं। बच्चों का बचपन खोए ना इसके लिए अभिभावकों और शिक्षकों को मिलकर प्रयास करने होंगे।
अधिक से अधिक समय दें
मनोचिकित्सक डॉ. राजीव जैन की मानें तो बच्चों स्कूल में पढ़ाई के लिए ८ घंटे से ज्यादा समय बिताते हैं। इसके अलावा कोचिंग और घर पर उन्हें होमवर्क का दबाब बनाया जाता है। अभिभावक को कोशिश करना चाहिए की बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव न बनाएं। अधिक से अधिक समय देने की कोशिश करें।
ऐसे खो रहा बचपन-
टीवी, मोबाइल की लत
मनोरंजन के नाम पर बच्चे टीवी और मोबाइल के आदी हो गए हैं। पहले दोस्तों के साथ घर से बाहर बच्चे कबड्डी, क्रिकेट, लुका-छिपी आदि खेल खेलते थे, इसे वे तनाव से दूर रहते थे। टीवी और मोबाइल से अब बच्चे गलत संगत में पढ़ रहे हैं।
बड़ों का व्यवहार
बड़ों को देखकर ही बच्चे कई बातें सीखते हैं। ऐसे में घर के हर सदस्य को अपना व्यवहार शालीन और बच्चों के मन मस्तिष्क को बेहतर बनाए जाने की कोशिश की जानी चाहिए।
अभिभावक नहीं दे रहे हैं पर्याप्त समय
पैरेंट्स को अच्छा-खासा समय अपने बच्चों को दिया जाना चाहिए। उनकी हर छोटी-छोटी सी बात पर गौर करना चाहिए। हर बात शेयर करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना होगा। लेकिन अभिभावक बच्चों के लिए समय नहीं निकाल रहे हैं। वे अपनी नौकरी और व्यापार में व्यस्त हैं।
100 फीसदी अंक लाने का प्रेशर
बच्चों पर अनावश्यक पढ़ाई का प्रेशर डाला जा रहा है। परीक्षा के रिजल्ट में १०० फीसदी अंक लाने की बात कही जाती है। दूसरे बच्चों की तुलना करने पर वो तनाव में रहते हैं। मल्टी टैलेंट एक नैसर्गिक गुण होता है। हमें कोई बात उनपर थोपना नहीं चाहिए। उनकी बातों का ख्याल रखना चाहिए।

इनका रखें ध्यान
०१.घर का माहौल सकारात्मक रखें। कभी बच्चों के सामने लड़ाई-झगड़े न करें।
०२. टीवी देखने और मोबाइल के उपयोग के लिए समय निर्धारित करें और उनके इसके उपयोग पर ध्यान रखें।
०३. अभिभावक बच्चों के लिए रोज का कम से कम दो घंटा दें। थोड़ा-बहुत खुद भी पढ़ाने की कोशिश की जानी चाहिए।
०४. यदि अच्छा काम किया है तो सभी के सामने तारीफ करें।
०५. हर बच्चे का आईक्यू अलग होता है और इसे स्वीकारते हुए उसी के
अनुरूप उसकी पढ़ाई-लिखाई और हॉबीज के लिए मोटीवेट करना चाहिए।

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