सिद्धचक्र महामंडल विधान के समापन
सागर•Nov 24, 2018 / 09:18 pm•
sachendra tiwari
Triad Rath Yatra from the main roads of the city
बीना. छोटी बजरिया पाश्र्वनाथ जिनालय में मुनि निर्णयसागर, मुनि पदमसागर महाराज के सान्निध्य, ब्र. अनिल भैया, ब्र. विजेन्द्र भैया के मार्गदर्शन में सिद्धचक्र महामंडल विधान के समापन पर त्रयरथ महामहोत्सव का भव्य आयोजन किया गया।
रथयात्रा का शुभारंभ छोटी बजरिया स्थित जिनालय से हुआ। शोभायात्रा में सबसे आगे दिव्य घोष चल रहा था। इसके बाद घोड़े पर धर्म-ध्वजा लिए श्रद्धालु विराजित थे। बीच में मुनि संघ चल रहा था, इसके उपरांत त्रय रथों पर श्रीजी को विराजमान कर विधान के मुख्य पात्र चंवर डुला रहे थे। लोगों ने अपने घरों के समक्ष चौक पूरकर श्रीजी की आरती एवं मुनि संघ के पाद प्रक्षालन किया। विधान में बने इंद्र-इंद्राणी शामिल हुए। शोभायात्रा सागर गेट, बड़ी बजरिया, महावीर चौक होते हुए बापस छोटी बजरिया स्थित कार्यक्रम स्थल संपन्न हुई। अशोक शाकाहार ने बताया कि रविवार को मुनिसंघ के विशेष प्रवचन आयोजित किए जाएंगे। सुबह 6 बजे शांतिधारा, अभिषेक संपन्न होगा।
मानव जीवन परमात्मा द्वारा प्रदत्त एक उपहार है-मुनि
शोभायात्रा के उपरांत मुनि निर्णयसागर ने प्रवचन देते हुए मानव जीवन के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि मानव जीवन परमात्मा द्वारा प्रदत्त एक उपहार है। इस उपहार का उपहास न हो, ऐसा जीवन जीना चाहिए जो जीवन काम, क्रोध, लोभ, मोह अहंकार आदि विकारों एवं वासनाओं से रहित होकर जीया जाता है, वही वास्तविक मानव जीवन हैै। जीवन एक प्रवाह है, जन्म से वह प्रारंभ होता है और मृत्यु पर समाप्त होता है। अनादि काल से संसारी जीव इस जन्म मरण रुपी प्रवाह में बह रहा है, जिसे जन्म मरण का यथार्थ स्वरुप समझ में नहीं आता, वह आगे भी अनन्तकाल तक इसमें परिभ्रमण करता रहेगा। जो इसकी यथार्थता को समझ लेता है, वह न तो जीवन के प्रति आसक्त रहता है, न उसे जन्म पर हर्ष होता है और न ही मृत्यु पर खेद। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति ने पांचों इंद्रियों, मन क्रोध, मान, माया और लोभ को वश में नहीं किया वह मरणान्तक कष्ट होने पर भी जीने की चाह रखता है। संचालन सभा का संचालन ब्र. अनिल भैया ने किया।