scriptपानी की तलाश में जंगल से भटककर हाइवे और गांव तक आ रहे जंगली जानवर, बन रहे मौत का शिकार | water crisis : Wild animals coming from the highway and village | Patrika News
सागर

पानी की तलाश में जंगल से भटककर हाइवे और गांव तक आ रहे जंगली जानवर, बन रहे मौत का शिकार

भूख-प्यास से बेहाल होकर हो रहे हिंसक, अब तक कई ग्रामीणों को बना चुके शिकार, वन क्षेत्रों में नहीं किए गए पानी के इंतजाम

सागरMay 17, 2019 / 10:30 pm

संजय शर्मा

water crisis : Wild animals coming from the highway and village

water crisis : Wild animals coming from the highway and village

सागर. भीषण गर्मी के कारण जिले के जंगलों में जानवर बेहाल हैं। वे भूख-प्यास से हिंसक होकर हाइवे और गांव-कस्बों की ओर रुख कर चुके हैं। जंगलों के अंदर भी जानवर तड़प-तड़प कर दम तोडऩे लगे हैं। पानी की तलाश में हाइवे तक आ पहुंचे कई बंदर- सियार जैसे वन्य जीव तेज रफ्तार वाहनों के नीचे आ चुके हैं। उधर पानी न मिलने से भी छोटे-बड़े जीवों की मौत की खबरें अंचल के जंगलों से आ रही हैं। भूख-प्यास से बेहाल हिंसक वन्य जीव वन क्षेत्र से सटे गांव- कस्बों में घुसकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। पिछले महीने रहली क्षेत्र में ऐसे ही हिंसक सियार द्वारा डेढ़ दर्जन से भी ज्यादा ग्रामीणों पर हमला करने की घटना से क्षेत्र के ग्रामीण अब भी घबराए हुए हैं। इस हमले में गांव की एक महिला की मौत भी हो चुकी है। बावजूद इसके वनक्षेत्रों में प्राकृतिक पोखर या मानव निर्मित गड्ढों में पानी नहीं भरवाया गया है ताकि प्यास से तड़प रहे वन्य जीव अपनी जान बचा सकें।

तपते जंगलों में बेहाल जानवर –

जिले के जंगलों को उत्तर, दक्षिण वन मंडल के अलावा नौरादेही अभयारण्य में विभाजित किया गया है। जिले के वन क्षेत्र की निगरानी के लिए रेंजर और उसके अधिनस्थ भी अमला तैनात है। गर्मियों का दौर शुरू होने से काफी पहले ही वन विभाग द्वारा जंगल में पोखर, गड्ढों में पानी भरवाने के निर्देश दिए गए थे। जिले में कुछ अधिकारियों ने शुरूआत में ही इस व्यवस्था पर ध्यान दिया फिर बजट न मिलने का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लिया।

वन्यजीवों के लिए भीषण संकट –

राहतगढ़, गौरझामर-देवरी, बण्डा और जरुवाखेड़ा के जंगल में जानवरों की हालत खराब है। मई में जिले के जंगल तप रहे हैं, नदियां-नाले और कुएं-बाबड़ी का पानी तलहटी छू चुका है ऐसे में वन्यप्राणी पानी के लिए भटक रहे हैं। पानी का प्रबंध नहीं होने से बाघ, तेंदुआ, भेडिया, गीदड़, सोनकुत्ता, लकड़बग्घा, लोमड़ी, भालू, चिंकारा, हिरण, नीलगाय, सियार, जंगली कुत्ता, रीछ, मगर, सांभर, चीतल तथा अनेक प्रजाति के पक्षी प्यास से निढाल हो रहे हैं।

हाइवे पर तोड़ रहे दम –

वन्य जीव इनदिनों सूखे जंगलों से पलायन कर गांव-कस्बों का रुख कर रहे हैं। इसके लिए जंगल के बीच गुजरे हाइवे-सड़कों को पार करते समय आए दिन कई जानवर काल के गाल में समा जाते हैं। यह स्थिति जिले के सागर-भोपाल हाइवे के राहतगढ़ वन क्षेत्र, बण्डा-शाहगढ़-हीरापुर, रहली और सिलवानी जाने वाली सड़क पर सबसे ज्यादा है। इन मार्गों पर अकसर हिरण-चीतल के वाहनों से टकराने, नील गाय, सियारों के पानी की तलाश में गांव तक आने की घटनाएं सामने आ रही हैं। भीषण गर्मी में वन अमले द्वारा पानी का प्रबंध न करने का खामियाजा सैंकड़ों प्राणी अब तक प्राण देकर भुगत चुके हैं।

वर्जन –
वन क्षेत्रों में जंगली जानवरों को पानी का इंतजाम करने के लिए प्रस्ताव काफी पहले ही भेजा जा चुका है लेकिन अब तक बजट नहीं मिला है। जंगलों में पानी के स्थानीय स्तर पर प्रबंध करने के निर्देश दिए गए हैं। जहां जानवर ज्यादा दिक्कत में हैं वहां जल्द ही व्यवस्था कराएंगे।

केएस तिवारी, सीसीएफ, सागर

Home / Sagar / पानी की तलाश में जंगल से भटककर हाइवे और गांव तक आ रहे जंगली जानवर, बन रहे मौत का शिकार

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो