तपते जंगलों में बेहाल जानवर –
जिले के जंगलों को उत्तर, दक्षिण वन मंडल के अलावा नौरादेही अभयारण्य में विभाजित किया गया है। जिले के वन क्षेत्र की निगरानी के लिए रेंजर और उसके अधिनस्थ भी अमला तैनात है। गर्मियों का दौर शुरू होने से काफी पहले ही वन विभाग द्वारा जंगल में पोखर, गड्ढों में पानी भरवाने के निर्देश दिए गए थे। जिले में कुछ अधिकारियों ने शुरूआत में ही इस व्यवस्था पर ध्यान दिया फिर बजट न मिलने का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लिया।
वन्यजीवों के लिए भीषण संकट –
राहतगढ़, गौरझामर-देवरी, बण्डा और जरुवाखेड़ा के जंगल में जानवरों की हालत खराब है। मई में जिले के जंगल तप रहे हैं, नदियां-नाले और कुएं-बाबड़ी का पानी तलहटी छू चुका है ऐसे में वन्यप्राणी पानी के लिए भटक रहे हैं। पानी का प्रबंध नहीं होने से बाघ, तेंदुआ, भेडिया, गीदड़, सोनकुत्ता, लकड़बग्घा, लोमड़ी, भालू, चिंकारा, हिरण, नीलगाय, सियार, जंगली कुत्ता, रीछ, मगर, सांभर, चीतल तथा अनेक प्रजाति के पक्षी प्यास से निढाल हो रहे हैं।
हाइवे पर तोड़ रहे दम –
वन्य जीव इनदिनों सूखे जंगलों से पलायन कर गांव-कस्बों का रुख कर रहे हैं। इसके लिए जंगल के बीच गुजरे हाइवे-सड़कों को पार करते समय आए दिन कई जानवर काल के गाल में समा जाते हैं। यह स्थिति जिले के सागर-भोपाल हाइवे के राहतगढ़ वन क्षेत्र, बण्डा-शाहगढ़-हीरापुर, रहली और सिलवानी जाने वाली सड़क पर सबसे ज्यादा है। इन मार्गों पर अकसर हिरण-चीतल के वाहनों से टकराने, नील गाय, सियारों के पानी की तलाश में गांव तक आने की घटनाएं सामने आ रही हैं। भीषण गर्मी में वन अमले द्वारा पानी का प्रबंध न करने का खामियाजा सैंकड़ों प्राणी अब तक प्राण देकर भुगत चुके हैं।
वर्जन –
वन क्षेत्रों में जंगली जानवरों को पानी का इंतजाम करने के लिए प्रस्ताव काफी पहले ही भेजा जा चुका है लेकिन अब तक बजट नहीं मिला है। जंगलों में पानी के स्थानीय स्तर पर प्रबंध करने के निर्देश दिए गए हैं। जहां जानवर ज्यादा दिक्कत में हैं वहां जल्द ही व्यवस्था कराएंगे।
केएस तिवारी, सीसीएफ, सागर