दूसरे दिन कथा में बताया आत्मज्ञान का महत्व
सागर•Mar 02, 2019 / 08:40 pm•
anuj hazari
Without the knowledge of the soul, God does not meet
बीना. श्रीमद्भागवत गीता एक ऐसा शास्त्र है जिसमें आत्मज्ञान की विस्तृत रुप से व्याख्या की गई है। इसमें लिखा है कि आत्मज्ञान के बिना परमात्मा से मिलन संभव नहीं है। गीता में आत्मा और परमात्मा के बारे में गहराई से बताया गया है। वास्तव में इस दुनिया में दु:ख का कारण हमारी अज्ञानता है जो व्यक्ति ज्ञानी होता है वह हर एक परिस्थिति में स्थिर रहता है। क्योंकि इस दुनिया में कोई गलत नहीं है। हर आत्मा अपने आप में सही है। यह बात खिमलासा में ब्रह्माकुमारीज संस्थान की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ कथा में शनिवार को बीके गीता दीदी ने कहीं। उन्होंने आत्मज्ञान विषय पर कहा कि साधुओं के अंदर जब साधुता नहीं बचती है तो उन्हें साधुता का बोध कराने के लिए भगवान को आना पड़ता है। जब धरती पर बुराइयां अपनी चरम सीमा पर होती हैं और प्रत्येक मनुष्य के अंदर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार रुपी राक्षस पैदा हो जाते हैं तो भगवान मनुष्यात्माओं का उद्धार करने के लिए आते हैं। इस अवसर पर बीके सरोज दीदी, बीके शिवानी दीदी, बीके सरस्वती दीदी, बीके गायत्री, बीके रुचि, बीके मधु, बीके अर्चना, एडवोकेट जितेन्द्र सिंह राजपूत, मुकेश सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
95 फीसदी बीमारी का कारण है तनाव
बीके गीता दीदी ने कहा कि रिसर्च में मेडिकल साइंस ने भी माना है कि 95 फीसदी बीमारी का कारण मानसिक तनाव है। तनाव का एकमात्र समाधान आध्यात्मिकता में है, जिसे आत्मज्ञान हो जाता है वह व्यक्तिकभी तनाव में नहीं आ सकता है। इसे विडंबना ही कहेंगे कि रिसर्च के बाद भी मेडीकल की पढ़ाई में कहीं भी मन और आत्मज्ञान के बारे में नहीं पढ़ाया जाता है।
जिसे ब्रह्म ज्ञान वही ब्राह्मण
जिसे ब्रह्म अर्थात् सत्य, परमात्मा और आत्मा का ज्ञान हो वही ब्राह्मण है। हमारी संस्कृति में गुण और कर्म के हिसाब से वर्ण व्यवस्था की गई है। व्यक्ति के कर्म से परख सकते हैं कि वह ब्राह्मण है कि शूद्र।