फैसले का किया स्वागत मुस्लिम महिला नजमा नेे केेंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करतेे हुए कहा, सरकार जो कानूून बनाने जा रही है, वह बहुत ही सराहनीय कदम हैेे। जोे कानूून बनने जा रहा है, बहुत अच्छा है। मैं तोे सरकार सेे मांग करती हूं कि तलाक देेनेे वालेे शख्स कोे तीन साल की सजा कम है, बल्कि ऐसेे शख्स कोे तोे कम सेे कम आठ सेेे दस साल की सजा होनी चाहिए। साथ ही तय जुर्माने की जगह डबल जुर्माना होेना चाहिए, ताकि हम जैसी तलाक पीड़ित महिला को तलाक जैेसे शब्द का कष्ट न झेेलना पड़े।पीड़ित महिला ने कहा, मैं तो यही कहना चाहती हूूं कि तलाक देेनेे वालेे शख्स को सख्त सेे शख्त सजा मिलनी चाहिए।
यूपी के इस स्कूल में छात्राओं के साथ होती है छेड़खानी पहली बार हुआ ऐसा देवबंद मेें हमेेशा मुस्लिम महिलाएं शरीयत पर एतबार करते हए उस पर चलने की बात कहतेे हुए एक साथ तीन बार तलाक होे जानेेे की बात की हिमायत करती आई हैैं। मगर पहली बार देेवबंद की एक पहली मुस्लिम महिला नजमा ने तीन तलाक एक साथ दिये जाने के विरोेध मेें आवाज उठाई है और केन्द्र सरकार के इस फैेसले का स्वागत किया हैै।
Exclusive- गंगा पर माफिया का कब्जा, धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन सऊदी अरब में रहता था पति देवबंद के मौेहल्ले सरायपीर जादगान निवासी नजमा पुत्री मो. साजिद की शादी 26 नंवबर 2013 कोे लबकरी निवासी दिलनवाज पुत्र सगीर अहमद के साथ हुई थी। दिलनवाज सऊदी अरब में रहकर काम करता था। लड़की के परिजनोें ने शादी में हैेसियत केे हिसाब दान दहेेज भी दिया था। मगर शादी के कुछ दिन बाद से ही नजमा को ससुराल पक्ष केे लोेग दहेेज कम लाने की बात कहते हुऐ प्रताड़ित करतेे रहते। मामला इतना बढ़ा कि दिलनवाज ने अपनी पत्नी नजमा कोे फोेेन पर तलाक देे दिया। तलाक पीड़ित महिला इंसाफ लेने के लिए कोेेतवाली भी गई। मगर आज तक इंसाफ नहीं मिला है। नजमा को तीन साल का एक बेेटा भी है। वह अपनेे पुुत्र केेे साथ अपने पिता केे घर पर रह रही हैं। उनको जब केेन्द्र सरकार द्वारा तीन तलाक पर कानून बनाने का पता चला तोे उन्होंने इस निर्णय का स्वागत किया।