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सहारनपुर

बड़ा खुलासाः फूलन देवी की हत्या का आरोपी शेर सिंह नहीं है भीम आर्मी नेता के भाई की मौत का जिम्मेदार

कट्टर ठाकुरवादी की है राणा की छवि
 
 
 

सहारनपुरMay 10, 2018 / 05:36 pm

Iftekhar

Sher singh rana

सहारनपुर. महाराणा प्रताप जयंती यानी 9 मई को सहारनपुर में भीम आर्मी के सहारनपुर जिला अध्यक्ष के भाई की गोली लगने से हुई मौत के मामले में शेर सिंह राणा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। हालांकि, यह शेर सिंह राणा वह नहीं है, जिस पर फूलन देवी के हत्या के आरोप हैं। यह शेरसिंह राणा क्षत्रीय महासभा का स्थानीय पदाधिकारी है। हालंकि मीडिया में फूलन देवी की हत्या के आरोपी शेर सिंह राणा को ही आरोपी मान लिया गया है। दरअसल, शांरसिंह राणा की छवि एक कट्टर ठुाकुरवादी व्यक्ति की है। उसपर 22 ठाकुरों की हत्या के आरोप में दलित समाज से आने वाली तत्कालीन सपा सांसद फूलन देवी की हत्या का भी आरोप है। हालांकि, फूलन ने हमेशा उस नरसंहार से इंकार किया था। 25 जुलाई 2001 को फूलन देवी की हत्या उसके आवास के बाहर कर दी गयी थी। तिहाड़ जेल में बंद शेर सिंह राणा पर जमानत के दौरान उनकी हत्या करने का आरोप लगा था।

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इसलिए राणा पर लगा हत्या का आरोप
दरअसल, सहारनपुर के जिस महाराणा प्रताप भवन में क्षत्रिय समाज की महासभा चल रही थी उसस से चंद कदमों की दूरी पर भीम आर्मी सेना जिला अध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन की अपने ही गांव में गोली लगने से मौत हो गई। हालांकि, सचिन को गोली कैसे लगी, यह तो जांच का विषय है, लेकिन उसकी मौत होने से सहारनपुर में दलित समाज के लोग सड़क पर आ गए। इस दौरान ये लोग शेर सिंह राणा के खिलाफ नामजद रिपोर्ट होने तक शव का अंतिम संस्कार करने मना कर दिया था। जिसके बाद दलित समाज के लोगों में रोश बढ़ता देख पुलिस ने शेर सिंह राणा समेत ठाकुर समाज के चार लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई है।

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इसलिए शेर सिंह राणा है मीडिया की निगाह में
फूलन देवी की हत्या के बाद शेर सिंह राणा ने वर्ष 2001 में दिल्ली के अशोका रोड पर तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सांसद फूलन देवी की गोलियों से भूनकर हत्या के बाद देहरादून के प्रेस क्लब में अपेन दोस्तों के साथ मीडिया की मौजूदगी में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। पुलिस के अनुसार,उस वक्त राणा ने बेहमई हत्याकांड में मारे गए 22 ठाकुरों के कत्ल का बदला लेने के लिए फूलन देवी की हत्या की बात स्वीकार की थी।

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इसके बाद शेर सिंह राणा को दिल्ली से सबसे सुरक्षित माने जाने वाले तिहाड़ जेल में रका गया, लेकिन वर्ष 2004 में राणा नाटकीय तरीके से तिहाड़ जेल से फरार हो गया था। बताया जाता है कि इसके बाद तिहाड़ से निकलकर झारखंड के रांची के संजय गुप्ता के नाम पते पर पासपोर्ट बनवाकर वह बांग्लादेश और फिर दुबई होते हुए अफगानिस्तान चला गया। बताया जाता है कि इस दौरान शेर सिंह ने अफगानिस्तान से पृथ्वीराज चौहान की समाधि से मिट्टी लेकर फिर भारत लौट आया। एक लंबा अरसा गुजर जाने के बाद राणा एक बार फिर पुलिस के हत्थे चढ़ गया, जिसके बाद से वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रहा। राणा को वर्ष 2017 में जमानत मिली। इससे पहले राणा ने 2012 में उत्तर प्रदेश के जेवर से निर्दलीय चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी।

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