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21 सितंबर से हैं Shardiya Navratri 2017, आइए जानें कब आैर कैसे करें कलश स्थापना

Shardiya Navratri 2017 Kalash Sthapana : बिना पुराेहित के इस विधि से कर सकते हैं स्‍थापना, सूर्याेदय के साथ शुरू हाेगा शुभ मुहूर्त

सहारनपुरSep 19, 2017 / 03:12 pm

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सहारनपुर। Pitru Amavasya के बाद अब 21 सितंबर से Shardiya Navratri का श्रीगणेश होने जा रहा है। शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के 9 रूपाें की आराधना की जाती है। खास बात यह है कि शारदीय नवरात्र में मां भगवती के महिषासुर मर्दनी रूप की पूजा कर शत्रुआें पर विजय पाने में सफलता मिलती है। देश में अलग-अलग स्थानाें पर मां दुर्गा के नवरात्र में उनके अलग-अलग रूपाें की आराधना करने की विधियां भले ही अलग-अलग हाें लेकिन शुभ मुहूर्त एक ही हैं। वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं, लेकिन इनमें चैत्र आैर शारदीय नवरात्र को ही प्रमुख माना जाता है। अब 21 सितंबर से शारदीय नवरात्र शुरू हाेने जा रहे हैं, जिनका बेहद महत्व है। शारदीय नवरात्राें में महिषासुर मर्दनी की विशेष पूजा है, जाे शत्रुआें काे परास्त करने में विशेष फलदायी हाेती है।
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एेसे करें कलश स्थापना (Kalash Sthapna Vidhi)
पंडित याेगेश दीक्षित के अनुसार, कलश स्थापना करने से मां दुर्गा की अनुकंपा और उनका आशीर्वाद प्राप्त हाेता है। कलश में ही मां दुर्गा का स्वरूप वास करता है। इस वर्ष (आश्विन) नवरात्र व्रत 21 सितंबर से शुरू हाे रहे हैं, जाे 29 सितंबर तक रहेंगे। आप स्वयं ही कलश स्थापना कर सकते हैं। शुभ मुहूर्त प्रतिपदा तिथि यानि 21 सितंबर काे सूर्याेदय के साथ शुरू हाेगा आैर 08.09 बजे तक रहेगा। इसके लिए आपकाे कलश स्थापित करने के लिए सबसे पहले व्रत का संकल्प लेना है आैर फिर गणेश भगवान की पूजा करते हुए अपने ईष्ट देव व गुरु भगवान से आज्ञा लेते हुए भूमि के ऊपर मिट्टी से अष्टदल बनाना है। इस अष्टदल में जाैं या सप्त धान्य की बुआई करनी है आैर फिर कलश स्थापना करनी है। इस तरह कलश काे स्थापित करते हुए कलश के कंठ तक जल भर लें। राेली डाल लें, सर्वाेषधि डाल लें, दूर्वा (घास) डालें आैर इसके बाद पंच पल्लव यानि पांच प्रकार के पत्ते या आम के पत्ते कलश पर रखें। कलश के जल में सात प्रकार की मिट्टी या किसी एक तीर्थ की मिट्टी डालें। इसके अलावा सुपारी डालें, पांच प्रकार के रत्न डालें आैर पांच सिक्के डालें। ध्यान रहे कि ये सिक्के लाेहे के ना हाें। दाे वस्त्राें से कलश काे आच्छादित करें। इनमें से एक वस्त्र कलश के कंठ पर बांध दें आैर दूसरे काे कलश पर लपेट दें। एक पात्र में चावल भरकर कलश के ऊपर रखें आैर उस पात्र में अपने ईष्ट देव या मां भगवती की मूर्ति रखें। पात्र के ऊपर नारियल रखें आैर नारियल में महाकाली महालक्ष्मी व मां सरस्वती का आह्वान करें आैर फिर कलश पर हाथ लगाकर सारे तीर्थाें का आह्वान करें। फिर सारे देवताआें का आह्वान करें आैर मां भगवती से कलश में स्थापित हाेने का आग्रह करें। साथ ही उन्‍हें आशीर्वाद देने की प्रार्थना करें। इसके बाद 16 प्रकार की सामग्री से मां भगवती की पूजा करें।
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शत्रु पर विजय पाने के लिए हाेती है ये विशेष पूजा (Vishesh Puja In Shardiya Navratri)
शारदीय नवरात्राें का सबसे बड़ा महत्व शत्रु पर विजय पाने का है। एेसी मान्यता है कि मर्यादा पुरुषाेत्तम भगवान श्री राम ने भी 9 दिन तक मां दुर्गे की आराधना की थी आैर दसवें दिन रावण संहार किया था। इसलिए शारदीय नवरात्र में मां दुर्गे के महिषासुर मर्दनी रूप की पूजा करने से शत्रु पर विजय पाने की शक्ति प्राप्त हाेती है। शास्त्राें में यह भी बताया गया है कि इन नवरात्र में मां दुर्गे अपने मायके जाती हैं, इसलिए भी इन नवरात्र का विशेष महत्व है।
नवरात्र का वैज्ञानिक दृष्टिकाेण
वर्ष में आने वाले दाेनाें नवरात्राें का भी वैज्ञानिक कथन भी है। दरअसल, दाेनाें ही नवरात्र रितुआें की संधि पर आते हैं। यह वह समय हाेता है जब एक रितु जाती है आैर दूसरी रितु आती है। यानि इन 9 दिनाें में माैसम में बदलाव हाेगा आैर माैसम के साथ-साथ हमारे शरीर में भी बदलाव हाेगा। एेसे में इस अवधि में उपवास रखने से शरीर काे मजबूती मिलती है आैर राेगाें से लड़ने की क्षमता से लड़ने के साथ ही पूजा अर्चना करने से मन की शुद्धि हाेती है।

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