इस दुनिया से जाते वक्त दोनों ने अपनी आंखें दान कर दी और इनकी आंखों से अब चार लोगों की जिंदगी रोशन हाे रही है। दोनों ने जिंदा रहते हुए ही यह इच्छा जाहिर की थी कि मरने के बाद उनकी आंखें किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान कर दी जाएं। जब इनका निधन हुआ तो इनके परिवार वालों ने इनकी अंतिम इच्छा को पूरा किया और आज मरने के बाद भी दोनों की आंखें जिंदा हैं जो 4 जिंदगियों को रोशन कर रही हैं।
रोशनी आई बैंक के मैनेजर सूरज जैन के अनुसार सहारनपुर के रहने वाले नरेश और सुभाष के परिजनों ने इनकी मौत के बाद यह इच्छा जताई थी कि वह आंखें दान करना चाहते हैं। 14 जनवरी को महावीर कॉलोनी के रहने वाले नरेश कुमार जैन का निधन हो गया था। नरेश कुमार ने मरने से पहले ही अपने परिवार वालों से कहा था कि मरणोपरांत उनकी आंखें दान कर दी जाएं। इस पर नरेश कुमार जैन के बेटे आशीष जैन ने रोशनी आई बैंक को फोन करके अपने पिता की अंतिम इच्छा के बारे में बताया और अपने पिता की आंखें दान करने की बात कही।
इसी तरह से सहारनपुर के ही मोहल्ला ज्वाला नगर के रहने वाले दीपक कुमार ने भी अपने पिता सुभाष चंद अरोड़ा की आंखों को दान किया। सुभाष चंद अरोड़ा का भी इसी सप्ताह निधन हो गया था। उन्होंने भी मरने से पहले अपने परिवार वालों से इच्छा जताई थी कि मरने के बाद उनकी आंखों को दान कर दिया जाए। पिता की मौत के बाद इनके बेटे दीपक ने यह इच्छा जाहिर की थी कि उनके पिता की आंखें दान करना चाहते हैं।
इन दोनों सूचना पर डॉक्टर प्राची अग्रवाल पहुंची थी। इन्होंने दोनों की आंखों का कॉर्निया निकालकर उसे करनाल भेजा। जहां से यह चारों आंखें चार लोगों को दी गई हैं। इन दो व्यक्तियों के इस नेक कार्य से चार लोगों की जिंदगी का अंधेरा हमेशा के लिए खत्म हो गया और अब यह चार व्यक्ति इस खूबसूरत दुनिया को देख पाएंगे। रोशनी आई बैंक के मैनेजर सूरज जैन ने बताया कि अब तक उनके बैंक से 663 आंखें दान की जा चुकी हैं।