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सहारनपुर

इन सरकारी कर्मियाें काे महज 100 रुपये मिलता है मासिक भत्ता

लेखपाल काे आज भी किराए भत्ते के नाम पर महज 100 रुपये मिलते हैं साईकिल की देखरेख के लिए

सहारनपुरJul 20, 2018 / 05:05 pm

shivmani tyagi

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सहारनपुर।

जिस लेखपाल से सरकार आैर जनता सभी रिकार्ड अपडेट रखने आैर प्रत्येक मामले में माैके पर जाकर निरीक्षण करने के साथ-साथ प्रत्येक मंगल दिवस आैर थाना दिवस में समय से पहुंचने की उम्मीद रखती है, उसी लेखपाल काे आज 2018 में भी किराए भत्ते के रूप में महज 100 रुपये सईकिल रखरखाव के लिए मिलते हैं। इतना ही इसके अलावा स्टेशनरी के रूप में भी लेखपाल काे एक माह में महज 100 रुपये ही मिलते हैं। लेखपालाें का कहना है कि उनकी मांग सरकार गंभीरता से नहीं ले रही थी इसलिए उन्हे मजबूरन आंदाेलन करना पड़ा। तीन जुलाई से 17 जुलाई तक पूरे प्रदेश में लेखपालाें की हड़ताल रही आैर उस दाैरान लेखपालाें ने काेई कार्य नहीं किया। इस हड़ताल में शामिल हुए कई लेखपालाें पर कार्रवाई भी हुई। अकेले सहारनपुर में 30 से अधिक लेखपालाें पर इस हड़ताल की गाज गिरी।
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आईए जाने क्या है लेखपालाें का मामला

सहारनपुर लेखपाल संघ के अध्यक्ष रामकिशन के मुताबिक लेखपालाें से सरकार सिर्फ लेखपालाें के ही काम नहीं कराती अन्य कार्य भी कराती है। एेसे में लेखपालाें काे चतुर्थश्रेणी कर्मचारियाें के बराबर ही वेतन दिया जाता है। लेखपालाें का ग्रेड पे 2000 रुपये है जबकि चतुर्थश्रेणी कर्मचारी का ग्रेड 1800 रुपये है। यानि दाेनाें के ग्रेड पे में महज 200 रुपये का अंतर है। लेखपाल संघ 2800 रुपये ग्रेड पे की मांग कर रहा है।
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पहले मिलता था 50 रुपये किराया भत्ता

लेखपालाें के किराए भत्ते में वर्ष 2006 में 50 रुपये की वृद्धि हुई। इससे पहले उन्हे किराया भत्ता साईकिल रखरखाव खर्च के रूप में महज 50 रुपये मिलता था। यानि एक माह में लेखपाल काे सिर्फ 50 रुपये मिलते थे। छठा वेतन मान लगने के बाद इस रकम काे बढ़ाकर 100 रुपये कर दिया। इससे पहले स्टेशनरी खर्च के रूप में महज 15 रुपये ही मिलते थे जाे अब बढ़ाकर 100 रुपये कर दिए गए हैं।
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क्या कहते हैं लेखपाल

सहारनपुर लेखपाल संघ के अध्यक्ष रामकिशन, जिला मंत्री राजेश कश्यप आैर मंडल मीडिया प्रभारी उत्तम त्यागी के मुताबिक जितना उन्हे मासिक भत्ता मिलता है उससे कई गुणा रकम एक दिन के काम में ही खर्च हाे जाती है। इसी तरह से जितना उन्हे स्टेशनरी भत्ता मिलता है उनते कागज एक ही दिन में खर्च हाे जाते हैं लेकिन इस आेर काेई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इनका यह भी कहना है कि सरकार लेखपालाें से अन्य विभागाें के काम भी कराती है। वर्ष 2014 में जब सबकुछ अॉन लाईन कर दिया उस समय टैबलेट दिए जाने की बात कही थी लेकिन आज तक टेबलेट नहीं मिल पाए हैं आैर लेखपालाें काे साईबर कैफे पर जाकर विभागीय कार्याें काे पूरा करना पड़ता है।
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