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सहारनपुर

गरीब बच्चाें की मदद करने हर वर्ष अमेरिका से भारत आता है यह नाबालिग लड़का

शाैर्य के दादा स्व. डॉक्टर बीके खन्ना किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ के डीन रह चुके हैं।

सहारनपुरJun 22, 2018 / 08:45 pm

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सहारनपुर। शिवमणि त्यागी

किसी की मुस्कुराहटाें पर हाे निसार

किसी का दर्द मिल सके ताे ले उधार

किसी के वास्ते हाे तेरे दिल में प्यार

जीना इसी का नाम है, जीना इसी का नाम है
आपने हिन्दी फिल्म का यह गीत ताे सुना ही हाेगा। आज इस गीत का जिक्र हम यूं ही नहीं कर रहे बल्कि यह गीत हम आपकाे इसलिए याद दिला रहे हैं क्याेंकि आज जिस युवा से हम आपकाे मिलाने जा रहे हैं उसने बेहद कम उम्र में यही संदेश पूरी दुनिया काे देने का काम किया है।
हम बात कर रहे अमेरिका में 11वी की पढ़ाई कर रहे शाैर्य की। शाैर्य का जन्म ताे अमेरिका में हुआ लेकिन दिल भारतीय है। अमेरिका में रहते हुए हुए भी शाैर्य का मन भारत में लगा रहता है। इसका एक मुख्य कारण यह भी है कि, शाैर्य यूपी की राजधानी लखनऊ का रहने वाला है आैर सहारनपुर में इसकी ननिहाल है। यह प्रत्येक वर्ष छुट्टियाें में भारत आता है आैर यहां के उन बच्चाें की मदद करता है जिन्हे हेल्प की आवश्यकता है। इस बार भी शाैर्य ने सहारनपुर में संचालित डा. रेखा कुमार की संस्था संकल्प से मिलकर उन बच्चाें की सहायता की है जिन्हे जरूरत थी। शाैर्य सिर्फ बच्चाें के लिए ही काम नहीं करते वह बुजुर्गाें के लिए भी काम करते हैं। भारत आने पर वह आेल्ड एेज हाेम जाते हैं आैर वहां पर बुजुर्गाें के समय बिताते हैं आैर उन्हे संगीत सुनाते हैं।
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तीन साल पहले बनाई फाउंडेशन से इकट्ठा किए 3 लाख रुपये

शाैर्य के मुताबिक जब वह भारत आता था ताे देखता था कि यहां बेहद गर्मी में बच्चे नंगे पैर बगैर कपड़ाें के सड़काें पर भीख मांगते हैं। इन बच्चाें के लिए शाैर्य की माने ताे उसके मन में इन बच्चाें की हेल्प करने का विचार आया लेकिन वह बेहद छाेटा था आैर उसके पास काेई कमाई का साधन भी नहीं था। इसके बाद उसने वर्ष 2016 में लविंग फाउंडेशन नाम से एक संस्था बनाई। खास बात यह है कि इस लविंग फाउंडेशन संस्था में शाैर्य अकेले ही काम करता है। स्कूल आैर पढ़ाई से समय मिलने पर वह अपनी इस संस्था पर समय लगात है। इस दाैरान वह सोशल मीडिया के माध्यम से अमेरिका के धनाढ्य वर्ग से भारतीय जरूरतमंद बच्चों की खातिर और पर्यावरण पर काम करने के लिए अपील करता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सात समंदर पार अमेरिका में रहने वाले लोगों के लिए भी भारतीय परिवेश में मजबूरी और अभाव में जीवन यापन करने वाले बच्चों के लिए प्यार है आैर यह बच्चे लिए तत्पर है लेकिन उनके पास समय नहीं है। इसलिए उन्होंने शाैर्य को डोनेशन दी। पिछले तीन साल में शाैर्य इस तरह से भारतीय बच्चाें आैर बूढ़ाें के लिए वह पर्यावरण पर काम करने के लिए करीब तीन लाख रुपये इकट्ठा कर चुका है। प्रत्येक वर्ग वह जब-जब भारत आता है अपनी संस्था में इकट्ठा हुए पैसाें से यहां बच्चाें की मदद करता है। बुजुर्गाें आैर बच्चाें के लिए काम करने वाली संस्थाआें के साथ मिलकर हेल्प करता है। रविवार काे शाैर्य बच्चाें की हेल्प करने के लिए सहारनपुर की संकल्प संस्था में पहुंचा। यहां पत्रिका के साथ बातचीत में इसने बताया कि हर वर्ष छुटिट्याें में भारत आता है आैर हां आेल्ड एज हाेम जाने के साथ-साथ उन संस्थाआें में जाता है जहां बच्चाें के लिए काम किया जाता है या स्पेशल नीड वाले बच्चाें काे पढ़ाया जाता है। इनके बीच जाकर वह उनकी जरूरताें काे समझता है आैर उसी के मुताबिक हेल्प करता है। वह सीधे भी हेल्प करता है आैर एनजीआे के माध्यम से भी सहायता करता है।
वीडियाे देखने के लिए यहां क्लिक करें आैर जाने शाैर्य के जीवन से जुड़ी ये खास बातें

हमेशा करना चाहता हूं मदद

शाैर्य का कहना है कि अभी वह कमाता नहीं है इसलिए जितना पैसा उसके पास इकट्ठा हाेता है उसी से वह लिमिटेड मदद कर पाता है। जब वह बड़ा हाे जाएगा आैर कमाना शुरू कर दे गा ताे वह इन बच्चाें की आैर मदद करेगा। शाैर्य की मां शालिनी खन्ना बताती हैं कि अभी शाैर्य छाेटा है आैर अकेले ट्रैवल नहीं कर सकता है इसलिए वह हर वर्ष उसके साथ भारत आती है। इस दाैरान वह ज्यादा समय आेल्ड एेज हाेम आैर उन बच्चाें के स्कूलाें आैर संस्थाआें में बिताता है स्पेशल नीड वाले बच्चाें काे पढ़ाया जाता है।

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