इस दर्द की दवा सिर्फ चलना
यह दर्दनाक दास्तान है उन इन सभी मजदूरों की जो लॉक डाउन के बाद समस्तीपुर में फंस गए। श्रमिक यहां उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ जिले से मजदूरी करने आए थे। सभी मजदूर वहां गली-मौहल्लों में फेरी लगा कर पेट भरने का काम करते थे। कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉक डाउन होने से श्रमिक समस्तीपुर में ही अटक गए। जैसे-तैसे एक-दो दिन निकाले किन्तु बगैर रुपए-पैसे के आखिर कितने दिन निकालते। आने-जाने के सारे साधन बंद हो गए। सड़कों पर पुलिस का पहरा लग गया। पुलिस किसी भी वाहन को आने-जाने नहीं दे रही। आखिरकार मरता क्या न करता। इन श्रमिकों ने समस्तीपुर से ही आजमगढ़ तक के ३०० किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करना शुरु किया।
पुलिस का बदला रूप
इतना लंबा सफर और सिर पर सामान का बोझा ढोते हुए इनके पास जो थोड़ा बहुत खाने-पीने का सामान था, वह भी आधे रास्ते से पहले ही खत्म हो गया। भूखे पेट और थके हुए पैरों के जवाब देने के बाद भी मंजिल तक पहुंचने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। आखिरकार चार दिन में 300 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करने के बाद सभी आजमगढ़ की सीमा पर पहुंचे। इसकी सूचना वहां पुलिस को मिली। पुलिस मौके पर पहुंची सभी मजूदर बदहवास हालत में भूख-प्यास से बिलबिलाते हुए मिले। इनकी हालत देखकर कठोर दिखाई देने वाली पुलिस भी पसीज गई। पुलिस ने इन लोगों को खाने-पीने का इंतजाम किया। इसके बाद इनकों इनके गांवों तक छुड़वाने की व्यवस्था में जुट गई।