विगत पांच जनवरी की शाम राजपुर थाना क्षेत्र के सगरा गांव स्थित नदी से लगभग 6 माह पूर्व अगवा की गई किशोरी को अचेतावस्था में बरामद किया गया था। किशोरी की गंभीर हालत को देखते हुए तत्काल उसे सदर अस्पताल भर्ती कराया गया। जहां से रेफर किए जाने के बाद इलाज के दौरान पीएमसीएच में उसकी मौत हो गई। मृत्यु पूर्व किशोरी का बयान नहीं मिलने के कारण यह राज ही रह गया कि अपहरण से लेकर उसकी बरामदगी के बीच आखिर उसके साथ क्या हुआ था, और किन परिस्थितियों में उसकी ऐसी हालत हुई थी।
इस मामले में किशोरी के पिता के बयान पर सात लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जिसमें चार पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके थे जबकि पांचवें अभियुक्त सुखु मुसहर को पुलिस ने रविवार की देर रात गिरफ्तार किया है। इस संबंध में सदर डीएसपी सतीश कुमार ने बताया कि किशोरी के अपहरण की साजिश सुखु मुसहर ने ही रची थी। गिरफ्तार किए जाने के बाद उसने जो बयान दिया है उसके अनुसार शादी की नियत से किशोरी का अपहरण कर वो पंजाब लेकर चला गया था। जब उसे परिवार पर लगातार पड़ रहे दबाव की जानकारी मिली तब उसने किशोरी को पंजाब से लाकर सगरा गांव में ही एक रिश्तेदार के घर रखा था।
अब वहां से कब और कैसे किशोरी नदी तट तक चली गई इस संबंध में उसे कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, न तो सुखु मुसहर का बयान ही पचने लायक है और न यह बयान पुलिस द्वारा स्वीकार करने का कोई कारण ही समझ में आ रहा है। सदर डीएसपी ने दुष्कर्म की बात को सिरे से खारिज करते कहा कि इस तरह के किसी भी बात की अब तक पुष्टि नहीं हुई है।
किस रिश्तेदार के यहां रखी गई थी किशोरी
इस संबंध में एक अन्य सवाल उठ खड़ा होता है कि आखिर जब सुखु मुसहर ने किशोरी को गांव के ही किसी रिश्तेदार के घर रखा था तो आखिर वो रिश्तेदार कौन है? पुलिस उसकी पहचान क्यों उजागर करने से कतरा रही है? सवाल यह भी है कि यदि शादी की नियत से अपहरण किया गया तो किशोरी की इतनी हालत कैसे खराब हुई कि वो मरणासन्न स्थिति में पहुंच गई? सुखु की बातों में ऐसा क्या है जिसपर यकीन किया जा सके?