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सतना

7वीं आर्थिक गणना शुरू: मास्साब की ट्यूशन फीस और ठेले वाले की कमाई बनेगी गणना का आधार

गोपनीय रखी जाएगी पूरी जानकारी, इन आंकड़ों से तैयार होगी सरकार की विकास योजनाएं

सतनाSep 04, 2019 / 01:43 pm

suresh mishra

7th economic census will start from today in satna

7th economic census will start from today in satna

सतना। सातवीं आर्थिक गणना का कार्य शुरू हो गया है। पूरी तरह से पेपरलेस और मोबाइल ऐप आधारित गणना की खासियत यह है कि सभी उद्यमों को शामिल किया जाएगा। मसलन अगर कोई शिक्षक ट्यूशन पढ़ाता है तो वह उसका उद्यम होगा, जिसे गणना में शामिल किया जाएगा। अर्थात मास्साब की ट्यूशन फीस और ठेले वाले की कमाई को भी गणना का आर्थिक आधार बनाया जाएगा। गणना की पूरी जानकारी गोपनीय रखी जाएगी। इसके लिए बसाहटों के अलग-अलग ब्लॉक तैयार किए गए हैं। गणना से मिले आंकड़ों से सरकार की विकास योजनाएं शुरू होंगी।
छोटे और घरेलू स्तर पर होने वाली आर्थिक गतिविधियों समेत सभी आर्थिक इकाइयों, प्रतिष्ठानों की गणना का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इसमें व्यक्तियों की वेतन को नहीं गिना जाएगा, लेकिन वही व्यक्ति कोई उद्यम करता है तो वह गणना में शामिल होगा। जैसे कोई चिकित्सक अस्पताल में काम करता है। यह गणना में शामिल नहीं होगा। लेकि, वह अस्पताल के बाद क्लीनिक में बैठकर आय अर्जित करता है तो यह गणना में शामिल होगा। यह गणना सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अधीन है।
पांच साल बाद हो रही
यह गणना पांच साल बाद हो रही है। इसमें उन गांवों पर भी ध्यान दिया जाएगा, जहां आर्थिक गतिविधियां कम हैं या बिल्कुल नहीं हैं। इनकी पहचान की अलग गाइडलाइन तय की गई है।
ठेले गुमटी की भी गणना
गणना में ठेले, गुमटी और फुटपाथ पर होने वाले कारोबार सहित सभी व्यावसायिक इकाइयों व प्रतिष्ठानों की गिनती की जाएगी। गणना में कारोबारी प्रतिष्ठान की आर्थिक गतिविधियों, मालिकाना हक, इसमें लगे कर्मचारियों आदि का ब्यौरा होगा। गणना से प्राप्त जानकारी के बाद इसका विश्लेषण कर देश के सामाजिक और आर्थिक विकास की योजनाएं सरकार तैयार करेगी।
सीएससी करेगी गणना
गणना के लिए सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लि. के साथ गठजोड़ किया है। सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की खास उद्देश्य से बनाई गई इकाई है। आर्थिक गणना फील्ड वर्क प्रारंभ हो गया है।
हर मूवमेंट की रहेगी जानकारी
मोबाइल ऐप आधारित इस गणना में गणक की हर गतिविधि पर निगरानी होगी। इसे जीपीएस सिस्टम से जोड़ा गया है। लिहाजा जिस जिस स्थल पर गणक अपनी गणना करेगा वहां की पूरी जानकारी दिखेगी। एक गणना उसके आगे बढऩे के बाद ही पूरी मानी जाएगी।
1977 में पहली बार हुई आर्थिक गणना
जिला योजना एवं सांख्यिकी अधिकारी आरके कछवाह ने बताया कि पहली बार आर्थिक गणना 1977 में की गई थी। इसके बाद 1980, तीसरी 1990, चौथी 1998 में और पांचवीं आर्थिक गणना 2005 में की गई थी। छठवीं गणना 2013 में हुई थी। अब सातवीं गणना 2019 में की जा रही है। यह गणना सभी प्रतिष्ठानों के विभिन्न संचालनगत एवं संरचनागत परिवर्ती कारकों पर अलग-अलग जानकारियां तो देगी ही साथ ही आर्थिक गतिविधियों के भौगोलिक विस्तार, क्लस्टरों, स्वामित्व से जुड़े हुए व्यक्तियों के बारे में भी जानकारी उपलब्ध होगी। इसके बाद राज्य एवं जिलास्तर पर सामाजिक आर्थिक विकास की योजना निर्माण में सहायक होगी।

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