यह गणना पांच साल बाद हो रही है। इसमें उन गांवों पर भी ध्यान दिया जाएगा, जहां आर्थिक गतिविधियां कम हैं या बिल्कुल नहीं हैं। इनकी पहचान की अलग गाइडलाइन तय की गई है।
गणना में ठेले, गुमटी और फुटपाथ पर होने वाले कारोबार सहित सभी व्यावसायिक इकाइयों व प्रतिष्ठानों की गिनती की जाएगी। गणना में कारोबारी प्रतिष्ठान की आर्थिक गतिविधियों, मालिकाना हक, इसमें लगे कर्मचारियों आदि का ब्यौरा होगा। गणना से प्राप्त जानकारी के बाद इसका विश्लेषण कर देश के सामाजिक और आर्थिक विकास की योजनाएं सरकार तैयार करेगी।
गणना के लिए सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लि. के साथ गठजोड़ किया है। सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की खास उद्देश्य से बनाई गई इकाई है। आर्थिक गणना फील्ड वर्क प्रारंभ हो गया है।
मोबाइल ऐप आधारित इस गणना में गणक की हर गतिविधि पर निगरानी होगी। इसे जीपीएस सिस्टम से जोड़ा गया है। लिहाजा जिस जिस स्थल पर गणक अपनी गणना करेगा वहां की पूरी जानकारी दिखेगी। एक गणना उसके आगे बढऩे के बाद ही पूरी मानी जाएगी।
जिला योजना एवं सांख्यिकी अधिकारी आरके कछवाह ने बताया कि पहली बार आर्थिक गणना 1977 में की गई थी। इसके बाद 1980, तीसरी 1990, चौथी 1998 में और पांचवीं आर्थिक गणना 2005 में की गई थी। छठवीं गणना 2013 में हुई थी। अब सातवीं गणना 2019 में की जा रही है। यह गणना सभी प्रतिष्ठानों के विभिन्न संचालनगत एवं संरचनागत परिवर्ती कारकों पर अलग-अलग जानकारियां तो देगी ही साथ ही आर्थिक गतिविधियों के भौगोलिक विस्तार, क्लस्टरों, स्वामित्व से जुड़े हुए व्यक्तियों के बारे में भी जानकारी उपलब्ध होगी। इसके बाद राज्य एवं जिलास्तर पर सामाजिक आर्थिक विकास की योजना निर्माण में सहायक होगी।