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सतना

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए 100 करोड़ से बनाए गए 800 स्टॉपडेम, नदी-नालों में कागजी साबित हुई योजनाएं

बीते 7 साल में सरकार द्वारा धरती को रिचार्ज कर गांवों को पानीदार बनाने विभिन्न योजनाओं के तहत 100 करोड़ रुपए खर्चकर 800 स्टॉपडैम बनवाए गए।

सतनाNov 19, 2017 / 11:49 am

suresh mishra

800 stopsdams made from 100 crores in satna

800 stopsdams made from 100 crores in satna

सुखेंद्र मिश्र @ सतना। वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए नदी-नालों में बनाए गए स्टॉपडैम एवं वाटरशेड संरचनाओं को देख ग्रामीणों ने उम्मीद लगाई थी कि इनमें वर्षा जल संरक्षित होने से उन्हें गर्मी में भी पानी मिलेगा। धरती रिचार्ज होगी और गांव पानीदार हो जाएंगे। लेकिन, इनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।
बीते सात साल में सरकार द्वारा धरती को रिचार्ज कर गांवों को पानीदार बनाने विभिन्न योजनाओं के तहत जिले में करीब 100 करोड़ रुपए खर्चकर 800 स्टॉपडैम बनवाए गए।

भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े ज्यादातर स्टॉपडैम
हालांकि इनके निर्माण में हुए भ्रष्टाचार एवं प्रशासनिक उपेक्षा के चलते जलसंरक्षण के नाम पर खर्च किए गए 100 करोड़ रुपए पानी में चले गए। भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े ज्यादातर स्टॉपडैम पहली बारिश में ही बह गए। जो बचे हैं उनमें भ्रष्टाचार के इतने छेद हैं कि पूरे जतन के बाद भी इनमें चुल्लूभर पानी संरक्षित करना मुमकिन नहीं हो पा रहा है।
केकड़ों ने खोद डाली नींव
नदी-नालों को रिचार्ज करने के नाम पर बनाए ज्यादातर स्टॉपडैम बनने के साथ ही जर्जर हो गए। किसी की दीवार पर दरार आ चुकी है तो किसी की नींव इतनी कमजोर थी कि उसे केकड़ों ने छलनी कर दिया। जो संरचनाएं पानी स्टॉक करने लायक बची भी हैं उनके गेट गायब हो चुके हैं। जल संरचनाआें की बदहाली का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि 90 फीसदी वाटर शेड संरचनाएं एवं स्टापडैम खाली पड़े हैं।
पानी सूखने के बाद जागा प्रशासन
इस वर्ष कम बारिश होने के कारण जिले में सूखे के हालात पैदा हो गए हैं। औसत की आधी बारिश होने के कारण नदी-तालाब खाली पड़े हैं। नवंबर में भी भू-जल स्तर 100 फीट नीचे चला गया है। इसके बावजूद वर्षा जल संरक्षण के लिए जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
सूखाग्रस्त घोषित

जिले के सूखाग्रस्त घोषित होने के बाद जब तक प्रशासन की नींद टूटी तब तक बरसाती नाले सूख चुके थे। आलम यह है, प्रशासन के निर्देश पर अब आरईएस विभाग द्वारा जलसंरक्षण के लिए जिले में चिह्नित 368 स्टॉपडैम में कड़ी लगाकर उन्हें बंद करने की कार्ययोजना पर अमल किया जा रहा है।
बनाकर भूले जिम्मेदार
बरसाती नदी-नालों को रिचार्ज कर जिले की धरती को पानीदार बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा आवंटित राशि का जिले में जल संरचनाएं बनाने के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। आरईएस एवं जिला पंचायत के जिम्मेदारों की भूमिका निर्माण की खानापूर्ति कर बजट हजम करने तक सीमित रही। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जिले में कुल कितने स्टॉपडैम एवं वाटर शेड संरचनाएं बनी हैं, इसकी जानकारी न तो जिला पंचायत के शाखा प्रभारी दे पा रहे हैं और न ही ग्रामीण विकास विभाग के इंजीनियर।
जल संरचनाओं की स्थिति
– 90 फीसदी डैम खाली
– 80 फीसदी की कड़ी गायब
– 40 फीसदी डैम जर्जर

जिले में स्टॉपडेम
– ब्लॉक संख्या
– मैहर 135
– अमरपाटन 110
– रामनगर 63
– उचेहरा 94
– नागौद 85
– मझगवां 140
– सोहवाल 86
– रामपुर बघे. 90
(नोट: आंकड़े जिपं एवं आरईएस विभाग के अनुमानित)

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