नदी-नालों को रिचार्ज करने के नाम पर बनाए ज्यादातर स्टॉपडैम बनने के साथ ही जर्जर हो गए। किसी की दीवार पर दरार आ चुकी है तो किसी की नींव इतनी कमजोर थी कि उसे केकड़ों ने छलनी कर दिया। जो संरचनाएं पानी स्टॉक करने लायक बची भी हैं उनके गेट गायब हो चुके हैं। जल संरचनाआें की बदहाली का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि 90 फीसदी वाटर शेड संरचनाएं एवं स्टापडैम खाली पड़े हैं।
इस वर्ष कम बारिश होने के कारण जिले में सूखे के हालात पैदा हो गए हैं। औसत की आधी बारिश होने के कारण नदी-तालाब खाली पड़े हैं। नवंबर में भी भू-जल स्तर 100 फीट नीचे चला गया है। इसके बावजूद वर्षा जल संरक्षण के लिए जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
बरसाती नदी-नालों को रिचार्ज कर जिले की धरती को पानीदार बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा आवंटित राशि का जिले में जल संरचनाएं बनाने के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। आरईएस एवं जिला पंचायत के जिम्मेदारों की भूमिका निर्माण की खानापूर्ति कर बजट हजम करने तक सीमित रही। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जिले में कुल कितने स्टॉपडैम एवं वाटर शेड संरचनाएं बनी हैं, इसकी जानकारी न तो जिला पंचायत के शाखा प्रभारी दे पा रहे हैं और न ही ग्रामीण विकास विभाग के इंजीनियर।
– 90 फीसदी डैम खाली
– 80 फीसदी की कड़ी गायब
– 40 फीसदी डैम जर्जर जिले में स्टॉपडेम
– ब्लॉक संख्या
– मैहर 135
– अमरपाटन 110
– रामनगर 63
– उचेहरा 94
– नागौद 85
– मझगवां 140
– सोहवाल 86
– रामपुर बघे. 90
(नोट: आंकड़े जिपं एवं आरईएस विभाग के अनुमानित)