बच्चों को प्रकृति के साथ जोड़ें
बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक और जिम्मेदार बनाने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है।उन्हें प्रकृति के साथ रिश्ता बनाने में पैरेंट्स को मदद करनी चाहिए। एक्सपर्ट के मुताबिक प्रकृति के करीब रहने से बच्चों में शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक बर्ताव का awahan पैदा होता है।उन्हें विभिन्न प्रजाति के पौधों के बीज ला कर दें और बगीचे या गमले में लगाने को कहें। उ पयोग के बारे में बताएं। बच्चों के दिमागी विकास के लिए आसपास के माहौल का बड़ा महत्व होता है। अगर हम लगातार प्रकृति के साथ कुछ समय बिताते हैं तो इससे हमारे बच्चों को भी प्रेरणा मिलती है।
बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक और जिम्मेदार बनाने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है।उन्हें प्रकृति के साथ रिश्ता बनाने में पैरेंट्स को मदद करनी चाहिए। एक्सपर्ट के मुताबिक प्रकृति के करीब रहने से बच्चों में शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक बर्ताव का awahan पैदा होता है।उन्हें विभिन्न प्रजाति के पौधों के बीज ला कर दें और बगीचे या गमले में लगाने को कहें। उ पयोग के बारे में बताएं। बच्चों के दिमागी विकास के लिए आसपास के माहौल का बड़ा महत्व होता है। अगर हम लगातार प्रकृति के साथ कुछ समय बिताते हैं तो इससे हमारे बच्चों को भी प्रेरणा मिलती है।
छुट्टियों का अनुभव लेने का मौका दें बच्चों को किताबी दुनिया में खोने, इंटरेक्टिव आउ टडोर गेम्स खेलने, दोस्तों या घर के किसी ऐसे सदस्य जो बाहर रहते हैं उन्हें पत्र लिखने को कहना चाहिए। जिस तरह पहले हम सभी स्कूल की छुट्टियों के दौरान मस्ती करते थे वे सभी बातें बच्चों से शेयर करना चाहिए। उन्हें भी ऐसा अनुभव लेने का मौका दें। यह तमाम एक्टिविटीज उनके के लिए न केवल मजेदार साबित होंगी, बल्कि बहुत कुछ सीखने का मौका भी देंगे ।
किताबों से अच्छा और सच्चा दोस्त कोई नहीं
एक्सपर्ट का कहना है कि किताबों से अच्छा और सच्चा दोस्त बच्चों का और कोई नहीं हो सकता। बच्चों में कम होती पढऩे की आदत चिंता का विषय भी है। पढऩे की आदत बच्चों की शिक्षा में केंद्र बिंदु की तरह होती है और यह बच्चे को स्कूल के बाद की जिंदगी के लिए तैयार होने का अवसर देती है। किताबें बच्चों को भावनात्मक तौर पर, सामाजिक तौर पर, बुद्धिमत्ता के स्तर पर और सांस्कृतिक स्तर पर विकसित होने में मदद करती है।
एक्सपर्ट का कहना है कि किताबों से अच्छा और सच्चा दोस्त बच्चों का और कोई नहीं हो सकता। बच्चों में कम होती पढऩे की आदत चिंता का विषय भी है। पढऩे की आदत बच्चों की शिक्षा में केंद्र बिंदु की तरह होती है और यह बच्चे को स्कूल के बाद की जिंदगी के लिए तैयार होने का अवसर देती है। किताबें बच्चों को भावनात्मक तौर पर, सामाजिक तौर पर, बुद्धिमत्ता के स्तर पर और सांस्कृतिक स्तर पर विकसित होने में मदद करती है।
बच्चों को डिजिटल युग से भी जुडऩे दें आज के डिजिटल युग से बच्चों को पूरी तरह से अलग नहीं कर सकते, लेकिन हम यह कोशिश और सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनका समय uत्पादकता से भरपूर हो। जिसमें बच्चे कुछ सही और सार्थक सीख सकें। साथ ही ब्लॉक और विजुलाइजिंग टूल्स की मदद से बच्चे को कोई भी विषय आसानी से सिखाया पढ़ाया जा सकता है और स्क्रीन टाइम सर्वोत्तम तरीके से उपयोग किया जा सकता है।