जब मैं 25 साल का था तो युवा जिंदगी की भागमभाग से तंग आ चुका था। समझ में नहीं आ रहा था कि न कुछ लेकर आया और न कुछ लेकर जाना है, फिर दिन-रात की यह दौड़ कैसी? जीवन से निराश होकर आत्महत्या करने की सोच रहा था, तभी विवेकानंद की एक किताब हाथ लगी। उस किताब को पढ़ते ही जीवन समझ में आ गया। मुझे दिशा मिल गई कि समाज और देश की सेवा ही मानव धर्म है। समाजसेवी अन्ना हजारे ने रामनाटोला स्थित रामलीला मैदान में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए अपने युवा अवस्था की यह कहानी सुनाई। उन्होंने कहा, मैंने करोड़ों की योजना बनाई। मुझे कई सम्मान मिले। लेकिन, मेेरे पास एक बिस्तर और खाने की एक प्लेट के अलावा कुछ भी नहीं हैं। मेरा भी परिवार है, गांव है, घर है, लेकिन मैंने 45 साल गांव के मंदिर में गुजार दिए। हमारा अलंकरण सोने की अंगूठी नहीं। देश और समाज के लिए जेल जाना हमारा असली अलंकरण है। उन्होंने कहा, किसानों को उपज का मूल्य दिलाने के लिए मैंने मोदी जी को कई पत्र लिखे, लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं आया। जिस दिन किसान दिल्ली घेरेंगे सरकार और नेताओं का दिमाग ठिकाने आ जाएगा। मैं एक बार तिहाड़ जेल गया और सरकार बदल गई। दोबारा जेल जाऊंगा तो यह सरकार भी नहीं बचेगी। उन्होंने रामलीला मैदान के मंच से दिल्ली पहुंचने का आह्वान किया। युवाओं से कहा, फोटो खिंचाने की राजनीति मत करो। मैं फोटो खिंचाता तो आज यहां नहीं होता। समाज सेवा ही मानव का सबसे बड़ा धर्म है।
लगातार40 मिनट तक भाषण देते हुए अन्ना ने कहा, लोग कहते हैं कि 80 साल की उम्र में इतनी ऊर्जा कहां से मिलती है? एेसे लोगों को मैं एक ही बात कहता हूं, मुझे यह ऊर्जा देश और समाज सेवा से मिलती है। हर युवा से एक बात कहना चाहता हूं कि देश और समाज के लिए कुछ एेसा करो, जिससे दुनिया तुम्हें याद रखे।
किसानों को फसल का सही मूल्य, किसानों को पेंशन और लोकपाल बिल पास कराने जैसे मुद्दों पर अन्ना हजारे ने कांग्रेस और भाजपा को एक ही सिक्के का दो पहलू बताया। लोकपाल बिल पर कहा कि पहले मनमोहन सिंह ने कमजोर किया और जो बचा खुचा था उसे नरेन्द्र मोदी ने कमजोर कर दिया। एक ग्रेजुएट हैं तो दूसरे डॉक्टे्रट थे। आगामी 23 मार्च को दिल्ली में होने जा रहे अनशन पर कहा, किसानों की दुर्दशा के लिए सरकार जिम्मेदार है। किसान को खेती में होने वाले खर्च पर आधारित दाम मिलना चाहिए। राज्य सरकारों का कृषि मूल्य आयोग है। इसमें एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट होते हैं। उनकी रिपोर्ट केन्द्र में जाती है। वहां केन्द्रीय कृषि मूल्य आयोग राज्यों की रिपोर्ट पर 30 से 50 फीसदी तक कटौती कर देता है। ऐसे में किसानों को कैसे सही दाम मिलेगा। राज्य से जो रिपोर्ट आती है, उसे मानते क्यों नहीं? इसलिए अनशन में बैठने जा रहा हूं।
बजट गाजर के समान
किसानों को डेढ़ गुने दाम पर कहा, प्रावधान नहीं, कैसे देंगे, यह बताना चाहिए। नीति आयोग से पूछेंगे। चुनाव आ रहा है। बजट गाजर है, जिसे देख जानवर खिंचे चले आते हैं। लेकिन मिलती नहीं।
अन्ना ने कहा कि लोकपाल न कांग्रेस को चाहिए न बीजेपी को। हमने ड्राफ्ट बनाया था। जिसमें मंत्री-सांसद शामिल थे। शिकायत पर ये भी जांच के दायरे होते। इसी खतरे को देख ये लोकपाल को नहीं आने दे रहे। हमने जनहित याचिका लगाई है। न्यायालय ने सरकार से पूछा सरकार ने जवाब दिया हम नहीं कर सकते। जबकि चुनाव से पहले आश्वासन दिया था।
अन्ना ने कहा, अगर मैं राजनीति में जाता तो मेरा डिपोजिट भी जब्त हो जाएगा। क्योंकि मतदाता जागरूक नहीं। 500 रुपए देकर वोट होता है, शराब की बोतल लेकर वोट होता। लेकिन आज जो मंत्री नहीं कर सकता, मैं देश के लिए कर सकता हूं। मैं इसी में खुश हूं। हमने राइट टू रिजेक्ट मांगा, नोटा मिला, लेकिन उससे काम नहीं चलेगा।
अन्ना ने कहा कि जनशक्ति के दबाव से सरकार डरती है। ये धरना-मोर्चा से नहीं डरती, बल्कि गिरने से डरती है। यह शक्ति ? जनता के हाथ में है। जनता मालिक है। लेकिन आज जनता सो गई है। इसलिए दबाव नहीं बन रहा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार गिराने के लिए आंदोलन नहीं है बल्कि इस काम के लिए यदि सरकार गिर जाती है तो कोई बात नहीं।