उल्लेखनीय है कि सतना जिले में तीन सौ के लगभग शस्त्र लाइसेंसों में गड़बड़झाला किया गया है। जानकारी के अनुसार, जिले से जारी शस्त्र लाइसेंस (जिसका पंजीयन क्रमांक 12/अन्य/2010/ दिनांक 15.03.2010 और 13/अन्य/ 2010/ दिनांक १15.03.2010 ऐसे शस्त्र लाइसेंस है जिसके पंजी में लाइसेंसधारी का नाम ही दर्ज नहीं है। अपने आपमें यह प्रक्रिया घातक गड़बड़ी की ओर इशारा कर रही है। दोनों लाइसेंसों में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि ये मूल रूप से जम्मू कश्मीर राज्य से जारी हुए थे और इनका यहां नवीनीकरण किया गया। पहला लाइसेंस डीएम जम्मू कश्मीर से जारी हुआ है तो दूसरा लाइसेंस डीएम सांभा जम्मू कश्मीर से जारी है। आंतकवाद से जूझते इन राज्यों के शस्त्र लाइसेंसों के मामले में अलग से गंभीरता बरतने के निर्देश समय-समय पर गृह विभाग द्वारा जारी किए जाते रहे हैं, लेकिन यहां बिना नाम के शस्त्र लाइसेंस जारी कर देना अपने आप में गंभीर अनियमितता की ओर इशारा कर रहा है।
जिले में शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़े की जानकारी वर्ष 2013 में ही हो चुकी थी और इसकी जांच में भी यह तथ्य सामने आ चुका था। लेकिन सवाल यह खड़ा हो गया है कि इस तरह के गंभीर मामले के सामने आने के बाद भी आखिर मामले को ठंडे बस्ते में क्यों डालकर रखा गया। वह भी तब जब इसकी शुरुआती जांच प्रधानमंत्री कार्यालय के आदेश पर मुख्यसचिव द्वारा संभागायुक्त को सौंपी गई। हालांकि इस मामले में उच्च न्यायालय से एक आदेश जारी होने के बाद मामला कुछ समय के लिये ठंडे बस्ते में रहा लेकिन उसके बाद जब दोबारा जांच कमेटी गठित की गई और उसमें भी गड़बड़झाला प्रमाणित हुआ और रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी गई। फिर भी इसमें निर्णय नहीं लेना कई गंभीर संकेत दे रहा है।
सतना कलेक्टर सतेंद्र सिंह को शुरुआती दौर में इस जांच से अनभिज्ञ रखा गया था। मामले की गंभीरता से भी उन्हें परिचित नहीं कराया गया था। लेकिन, जब एसटीएफ ने इसकी जांच शुरू की और हमेशा की तरह एक बार फिर शस्त्र शाखा के लिपिकीय स्टाप ने मामले को गोलमोल करना शुरू किया और इसकी भनक कलेक्टर को लगी तो उन्होंने तत्काल इस मामले की पूरी नस्ती अपने पास तलब कर ली है। साथ ही उन्होंने संकेत भी दिए कि इस मामले के किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा चाहे वह कितना ही प्रभावशाली क्यों न हो। उधर एसटीएफ भी इस मामले को पूरी गंभीरता से ले रही है। मामले को देख रहे जांच अधिकारी ने कहा कि वे अब पुन: अपनी टीम को दस्तावेजों की सर्टिफाइड प्रति लेने के लिए भेजेंगे।
अन्य जिलों अथवा प्रांतों से जारी शस्त्र लाइसेसों के संबंध में गृह विभाग के स्पष्ट आदेश हैं कि इन शस्त्र लाइसेसों को संबंधित जिले के जिला मजिस्ट्रेट अथवा अपराध अनुसंधान शाखा भोपाल से अनापत्ति प्राप्त करनी होती है। इसके बाद ही उनका नवीनीकरण किया जाना चाहिए। लेकिन जिले में दो दर्जन लाइसेंस ऐसे हैं जिनमें बिना एनओसी के ही पंजीयन अथवा नवीनीकरण कर दिया गया है। इसमें से काफी संख्या में जम्मू कश्मीर, नागालैण्ड, उधमपुर, श्रीनगर के हैं।