सतना

शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़ाः फर्जी डिस्पैच नंबर से संभागायुक्त को भेज रहे थे दस्तावेज, कलेक्टर ने सीलबंद कराई अलमारियां

शस्त्र लाइसेंस का बड़ा फर्जीवाड़ा फिर सामने आयापूर्व कलेक्टर के नाम पर संभागायुक्त को भेजे गए दस्तावेज

सतनाOct 31, 2019 / 01:19 am

Ramashankar Sharma

Arms license forgery: collector sealed the shelves

सतना. जिले में शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़ा रुकने का नाम नहीं ले रहा। एनआईए जैसी एजेंसी यहां के शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़े की जांच कर रही है। 300 से ज्यादा लाइसेंसों में गड़बड़झाले की जांच के लिए एसटीएफ जबलपुर दस्तावेज अपने साथ ले गई है। इसके बाद भी गड़बड़झाला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में चौंकाने वाला मामला संभागायुक्त कार्यालय रीवा में पकड़ में आया। यहां से जा चुके कलेक्टर के हस्ताक्षर से वहां दस्तावेज पहुंचे तो संभागायुक्त ने जानकारी कलेक्टर सतेन्द्र सिंह को दी। मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने शस्त्र शाखा की अलमारियां सील बंद करवा दी हैं । माना जा रहा कि अब मामले की गंभीर जांच की जाएगी।
जानकारी के अनुसार नए शस्त्र लाइसेंस के लिए संभागायुक्त के पास प्रस्ताव सतना शस्त्र शाखा से भेजा गया था। जब नस्ती संभागायुक्त डॉ अशोक भार्गव के पास पहुंची तो वे यह देखकर चौंक गए कि जो प्रस्ताव भेजा गया है वह वर्तमान कलेक्टर के हस्ताक्षर से नहीं बल्कि पुराने कलेक्टर के नाम पर है। इस पर उन्हें संदेह हुआ। उन्होंने मामले की जानकारी कलेक्टर सतेन्द्र सिंह को दी। कलेक्टर ने शाम को शस्त्र शाखा पहुंचकर डिस्पैच रजिस्टर की जांच की। साथ ही यहां की सभी अलमारियों को सीलबंद करवा दिया। इस दौरान उन्होंने यह भी जानकारी ली है कि क्या यहां दो डिस्पैच नंबर है?
कलेक्टर ने पकड़ा गड़बड़झाला

संभागायुक्त से जानकारी मिलने के बाद कलेक्टर ने जब शस्त्र शाखा के दस्तावेज देखे और अपने हस्ताक्षर से भेजे प्रस्तावों के नंबर देखे तो वे चौंक गए। उन्होंने पाया कि अभी तक जिस डिस्पैच नंबर की सीरीज पर उन्होंने हस्ताक्षर किए हैं संबंधित नंबर उससे मेल नहीं खाता है। सूत्रों की मानें तो जो डिस्पैच नंबर का प्रस्ताव संभागायुक्त को भेजा गया है उसका मूल पत्र जम्मू कश्मीर के डोडा जिले के डीएम और भोपाल के लिए भेजा गया है। यहां किसी ने फर्जी डिस्पैच नंबर डालकर फर्जी तरीके से प्रस्ताव नये शस्त्र लाइसेंस के लिये संभागायुक्त के पास भेज दिया है।
पूरे खेल में एक ही नाम
इस पूरे फर्जीवाड़े में अब तक के शस्त्र लाइसेंस की जांच रुकवाने में जिसकी भूमिका रही है उसके और उससे जुड़े लोगों की सहभागिता है। इनके द्वारा तत्कालीन लिपिकीय स्टाफ को मिला कर फर्जी दस्तावेज और फर्जी डिस्पैच नंबर से इस तरह के खेल किए जा रहे हैं। अभी तक संबंधितों पर कोई कार्रवाई नहीं होने से उनके हौसले बुलंद है। इन्हें अक्सर कलेक्टे्रट परिसर और शस्त्र शाका में मंडराते देखा जाता है और लिपिकीय स्टाफ को अपनी कथित आला अधिकारियों की पहुंच का हवाला देकर धमकाया भी जाता है।
दो माह से चल रहा था फर्जीवाड़ा

मामले में कलेक्टर सतेन्द्र सिंह ने बताया कि पिछले दो माह से ऐसी फाइलें रीवा जा रही थी। ये सभी फाइलें अप्रैल के पहले की हैं। सभी पुराने कलेक्टरों की रिकमंडेशन की है। इनमें से कुछ ऐसे प्रस्ताव भी है जिनमें दो कलेक्टर बदल चुके हैं। पुलिस अधीक्षक बदल चुके हैं। इसकी शिकायत मिलने पर शस्त्र शाखा का औचक निरीक्षण किया गया है। दस्तावेजों का रखरखाव सही नहीं दिखा, जिस पर अलमारियों को सीलबंद कराया गया है। आगे इस मामले में निर्णय लिया जाएगा।

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