बताया जाता है, ए-वन ट्रंच में आठवें लेयर की खुदाई के दौरान झोपड़ी के साथ चूल्हा, हड्डी, हाथ के बने मिट्टी के बर्तन मिले हैं। जली मिट्टी, कार्बन और तांबा भी मिले हैं। जो ताम्र पाषाण युग के पुख्ता प्रमाण को प्रदर्शित करते हैं। डॉ. अवनीश चंद्र मिश्र ने बताया कि मिले प्रमाणों ने उनकी टीम के साथी क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी इलाहाबाद डॉ. रामनरेश पाल, असिस्टेंट प्रोफेसर बृजेश रावत, वीरेंद्र शर्मा और वीके खत्री में नया जोश भर दिया है।
डॉ. मिश्र ने बताया, चित्रकूट व्यापक शोध का केंद्र है। जिस संडवावीर टीला में उनकी टीम खुदाई कर रही है, उसके पास के गांव मोहरवां, सगवारा, गुरौली, भटरी, रमपुरवा, सुरवल, पटना और टेरा में भी ऐसी सभ्यता के लोग बसते थे। इसके प्रमाण यहां पर खुदाई से लग जाएंगे। वाल्मीकि नदी के रास्ता बदलने की संभावना जताई जाती है। क्योंकि, पहले लोग नदी के आसपास ही बसते थे।