1. सुरंग में अटका काम: बरगी नहर का अब तक 60 फीसदी से ज्यादा काम हो चुका है। अब इसकी राह में स्लीमनाबाद टनल बाधा है। यहां 12 किमी लंबी सुरंग बननी है, लेकिन 2011 से 2018 तक महज 4.6 किमी की खुदाई ही हो सकी थी। इसके बाद काम सुरंग में अटक कर रह गया था। प्रदेश का पानी गुजरात के हिस्से में जाता देख सरकार ने इसमें फिर दिलचस्पी दिखाई। विगत तीन-चार साल से जापान से आई महामशीन से सुरंग खुदाई का कार्य चल रहा है। हालांकि यहां लगी दो मशीनों में एक अकसर बंद रहती है। ऐसे में अभी भी 2023 तक टनल का काम पूरा होना किसी चुनौती से कम नहीं है।
2. जर्जर नहरों का मेंटीनेंस: नर्मदा जल विंध्य तक पहुंचाने के लिए स्लीमनाबाद से सतना तक मुख्य नहर का निर्माण कार्य 10 साल पहले पूर्ण कर लिया गया था। ये नहरें अब जर्जर हो चुकी हैं। बिना मरम्मत के इनमें पानी छोड़ना संभव नहीं है। ऐसे में मुख्य नहर का मेंटीनेंस भी सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। उधर, सतना से रीवा पानी पहुंचाने के लिए बन रही मुख्य नहर का काम निर्माणाधीन है।
3.भू – अर्जन और मुआवजा: सहायक नहर निर्माण के लिए सतना जिले के मैहर, उचेहरा एवं नागौद तहसील के 201 गांवों की भूमि अधिग्रहीत की गई। इसमें से करीब 141 गांवों के भूस्वामियों को आज तक मुआवजा नहीं दिया गया। वहीं नागौद-सतना शाखा आरडी 00 से 83 किमी तक 1452.722 हैक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की जानी है। इसमें से महज 420.366 हैक्टेयर का ही अर्जन हो सका है। 1032.06 हैक्टेयर का अ धिग्रहण करना शेष है। जानकारों की मानें तो जमीन अ धिग्रहण और मुआवजा वितरण में समय लगेगा। ऐसे में नहर समय सीमा में बन पाएगी, यह बड़ा सवाल है।
बरगी के पानी का भविष्य तय करने वाली स्लीमनाबाद टनल का कार्य फिलहाल युद्ध स्तर पर जारी है, लेकिन अन्नदाता सरकारी उधेड़बुन में फंस कर रह गया है। प्रदेश सरकार ने टनल का काम पूरा करने के लिए जून 2023 की डेटलाइन तय की है। दो महामशीनों से प्रति माह 270 मीटर टनल खोदने का लक्ष्य रखा है। 10 मई तक 8.5 किमी सुरंग बन चुकी है। आगे 12 माह में 3510 मीटर टनल खोदने का कार्य किया जाना है। जबकि, हकीकत यह है कि दो में से एक मशीन बंद रहती है। इस कारण लक्ष्य की आधी ही खुदाई हो रही है। ऐसे में दावों के अनुसार जून 2023 तक सुरंग निर्माण का कार्य पूरा होने उम्मीद नहीं है। जानकारों की मानें तो इसी रफ्तार से काम चला तो यह काम 2025 तक चलेगा। ऐसे में यदि सरकार को 2024 से पहले नर्मदा का पानी सतना लाना है तो बचे हुए दिनों में प्रति दिन 10 मीटर टनल खोदनी होगी।
पानी बचाने का एक और रास्ता
प्रदेश के हिस्से का पानी बचाने का एक ही रास्ता है। मंडला जिले में रोशरा एवं बसानिया तथा डिंडौरी जिले में राघवपुर डैम बरगी अपस्ट्रीम में बनने हैं। राघवपुर जल विद्युत परियोजना के लिए 225 मिली घन मीटरए रोशरा के लिए 432 और बसानिया के लिए 175 मिली घन मीटर पानी की आवश्यकता होगी। तीनों में करीब 832 मिघमी पानी उपलब्ध होगा। इन तीनों डैम के निर्माण का कार्य अभी तक नहीं हुआ। यदि शासन.प्रशासन गंभीरता से ले और निर्माण जल्द पूरा करा ले तो प्रदेश के हिस्से का पानी संचित हो सकता है।
1450 गांव होंगे लाभान्वित
विंध्य में नर्मदा जल लाने के लिए बरगी नहर का निर्माण 2009 से चल रहा है। इस परियोजना से जबलपुर के 438 ग्रामए कटनी के 127, सतना के 855 और रीवा जिले के 30 गांव को पानी मिल सकेगा। यदि तय समय पर पानी पहुंच जाता है तो विंध्य क्षेत्र की 2.45 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हो सकेगी तथा खेती की पैदावार बढ़ेगी।
एक्सटेंशन पर एक्सटेंशन
बरगी नहर में अंडर ग्राउंड टनल का निर्माण कार्य 25 जुलाई 2011 में पूरा होना था। लेकिन, लेटलतीफी के कारण काम नहीं हो पाया और लगातार एक्सटेंशन मिलता गया। चार एक्सटेंशन के बाद 31 मार्च 2021 तक काम पूरा करना था। अब एक और एक्सटेंशन देकर यह अवधि 2023 कर दी गई है।
ऐसी है बरगी की कहानी
मुख्य नहर की लम्बाई 397 किमी
शाखा नहर की लम्बाई 255.166 किमी
लघु नहर की लम्बाई 2700 किमी
2009 में 5127.22 करोड़
काम की स्थिति 40 फीसदी शेष टनल खुदाई का काम चल रहा है। वर्तमान में एक मशीन बंद होने से हर माह लगभग 150 मीटर खुदाई हो पा रही है। 10-15 दिन में दोनों मशीनें काम करेंगी तो तय लक्ष्य अनुसार 300 मीटर हर माह खुदाई होगी। जून 2023 तक टनल का काम पूरा कर दिया जाएगा।
सहज श्रीवास्तव, ईई, नवदा कटनी
राजीव खरे, आरटीआइ ए क्टिविस्ट