पुलिस की रही व्यवस्था
शांति को देखते हुए पुलिस पूरे शहर में छावनी के रूप में तब्दील हो गई थी। शहर के सेमरिया चौक, सर्किट हाउस तिराहा, सिविल लाईन, बीटीआई मैदान, सिंधी कैम्प, धवारी , नजीराबाद आदि इलाकों में तैनात रही। ज्ञात हो कि कई वर्षों बाद बंद को पूर्ण बहुमत मिला है। ज्ञात हो कि इस बंद में आम व्यापारी व आम जनता सड़को पर उतरी है।
शांति को देखते हुए पुलिस पूरे शहर में छावनी के रूप में तब्दील हो गई थी। शहर के सेमरिया चौक, सर्किट हाउस तिराहा, सिविल लाईन, बीटीआई मैदान, सिंधी कैम्प, धवारी , नजीराबाद आदि इलाकों में तैनात रही। ज्ञात हो कि कई वर्षों बाद बंद को पूर्ण बहुमत मिला है। ज्ञात हो कि इस बंद में आम व्यापारी व आम जनता सड़को पर उतरी है।
बंद के आह्वान पर व्यापारी व आम जनता
जिले के ग्रामीण इलाकों में भारत बंद का असर देखने को मिला है। देहात से मिली जानकारी अनुसार बंद को लेकर आम जनता सड़कों पर उतर आई है। समाचार लिखे जाने तक काई अर्पिय घटना सुनने को नहीं मिली है। आम जनता ने सड़कों पर निकल कर नारे बाजी भी की गई। एससीए एसटी एक्ट में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाले सरकार के कदम के विरोध में सवर्ण समाज लामबंद हो गए हैं। एक्ट के विरोध में व्यापारियों नें भी खुल कर समर्थन दिया है। व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। कई व्यापारिक संगठनों ने बैठके कर अपना समर्थन दिया। लोगों का कहना था कि इस एक्ट का दुरुपयोग होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया था। लेकिन सरकार ने एक्ट में संशोधन कर सवर्ण व पिछड़ी जातियों के साथ अन्याय किया है। इस एक्ट के तहत निर्दोष होने के बाद भी व्यक्ति को छह महीने तक जेल में रहना पड़ेगा। पुन: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को बापस लागू न किए जाने तक यह आदोलन जारी रहेगा।
जिले के ग्रामीण इलाकों में भारत बंद का असर देखने को मिला है। देहात से मिली जानकारी अनुसार बंद को लेकर आम जनता सड़कों पर उतर आई है। समाचार लिखे जाने तक काई अर्पिय घटना सुनने को नहीं मिली है। आम जनता ने सड़कों पर निकल कर नारे बाजी भी की गई। एससीए एसटी एक्ट में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाले सरकार के कदम के विरोध में सवर्ण समाज लामबंद हो गए हैं। एक्ट के विरोध में व्यापारियों नें भी खुल कर समर्थन दिया है। व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। कई व्यापारिक संगठनों ने बैठके कर अपना समर्थन दिया। लोगों का कहना था कि इस एक्ट का दुरुपयोग होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया था। लेकिन सरकार ने एक्ट में संशोधन कर सवर्ण व पिछड़ी जातियों के साथ अन्याय किया है। इस एक्ट के तहत निर्दोष होने के बाद भी व्यक्ति को छह महीने तक जेल में रहना पड़ेगा। पुन: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को बापस लागू न किए जाने तक यह आदोलन जारी रहेगा।