सूत्र बताते हैं कि सफारी में हो रही बाघों की मौत की वजह उन्हें सही भोजन न मिलना है। जिस सप्लायर को मांस पहुंचाने का जिम्मा सौंपा गया है, उसके पास न तो पशु वध की अनुमति है और न ही स्थायी स्लाटर हाउस। आशंका है कि बाघों एवं अन्य मांसाहारी वन्य प्राणियों को संक्रमित मांस सप्लाई किया जा रहा है। हालांकि दावा है कि पशु चिकित्सा विभाग मांस का परीक्षण कर रिपोर्ट जारी करता है। आशंका यह भी है कि डेयरी फार्म चलाने वाले अधिक दूध उत्पादन के लिए मवेशियों को ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाते हैं। ऐसे मवेशियों का मांस जहरीला होता है। नकुल बाघ की मौत की वजहों पर सिर्फ कयास ही लगाए जा रहे हैं। वन विभाग के प्रेस नोट में मौत की वजह साफ नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कुछ निकल कर नहीं आया
सिवनी के उगली वन क्षेत्र के कोपीझोला गांव के पास पिछले दिनों बाघ ने महिला और एक किशोर का शिकार किया था। हमलों के बाद लगातार वन अमला बाघ की तलाश में है, लेकिन सफलता नहीं मिली। आठ कैमरों में भी कोई हलचल रेकॉर्ड नहीं हुई है। चार गश्ती दल लगातार घूम रहे हैं, पिंजरा भी लगाया गया है। इसके बावजूद बाघ कहीं भी नजर नहीं आया है। परियोजना वनपाल रघुसिंह यादव ने कहा कि दो मौत के बाद हम बेहद सतर्क हैं। ग्रामीणों को भी अकेले निकलने की मनाही की गई है।
क्लच वायर लगाकर किया था तेंदुआ का शिकार, 3 गिरफ्तार
शहडोल के बुढ़ार वन विभाग ने तेंदुआ के शिकार करने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। बुढार के ग्राम कुल्हारू में 28 से 29 दिसंबर की रात तीन शिकारी तेंदुए का शिकार कर फरार हो गए थे। 1 जनवरी को आखिरकार वन विभाग ने शिकारियों को शिकंजे में लिया है। एसडीओ ओमकर गिरी गोस्वामी ने बताया कि पकरी पानी गांव के निवासी प्रभु बैगा, नर्मदा बैगा, सोभालाल बैगा ने क्लच वायर का फंदा लगातार तेंदुए का शिकार किया था।