scriptSATNA: पुलिस, खनिज और राजस्व का नेक्सस चला रहा रेत का काला कारोबार | Black business of sand running nexus of police, minerals and revenue | Patrika News
सतना

SATNA: पुलिस, खनिज और राजस्व का नेक्सस चला रहा रेत का काला कारोबार

हर थाने में इंट्री तय, खनिज महकमे को भी मिल रहा हक, राजस्व अमला भी हो रहा मालामाल

सतनाAug 12, 2019 / 12:10 am

Ramashankar Sharma

Nine vehicles caught transporting illegal minerals

Nine vehicles caught transporting illegal minerals

सतना. प्रदेश सरकार दावा कर रही है कि रेत के अवैध खनन और परिवहन पर लगाम लग चुका है, लेकिन जिले की स्थिति विपरीत है। हालात यह हैं कि जितनी रेत एक नंबर की आ रही है, उससे दोगुनी रेत अवैध तरीके से आ रही है। ऐसा भी नहीं कि यह कारोबार चोरी छिपे हो रहा हो। रेत कारोबारी खुलेआम नोट के दम पर सरकारी अमले के गठजोड़ से यह कारोबार कर रहे हैं। कटनी और पन्ना जिले के राजस्व अमले को तय रकम देकर रेत निकालने वाले कारोबारी सतना जिले में हर थाने में इंट्री देने के बाद पहुंचते हैं। खनिज महकमा इनके कारोबार में कहीं बाधक नहीं बने, इसको लेकर उन्हें महीने में रकम पहुंचा दी जाती है। इस पूरे अवैध कारोबार का राजस्व, थाने और खनिज महकमे में पूरा हिसाब होता है। उनके अपने खाते में जो वाहन नंबर दर्ज नहीं होता है वही वाहन अवैध कारोबार के नाम पर पकड़ लिया जाता है और इसके हवाले से अवैध कारोबार पर कार्रवाई के नाम पर पीठ थपथपा ली जाती है। सवाल यह है कि हर माह लाखों के इस अवैध कारोबार की जानकारी कलेक्टर-एसपी को कैसे नहीं है या फिर इनकी ओर से चुप्पी साध ली गई है।
बारिश का सीजन होने पर रेत की एक नंबर की खदानें बंद हैं । जो भी रेत का कारोबार अब हो रहा वह या तो भंडारित रेत से हो रहा या फिर पूरी तरह से दो नंबर में खोदी जा रही रेत से। हालांकि भंडारण के लाइसेंस तो जारी किए गए हैं लेकिन इस एक भण्डारण की आड़ में रेत कारोबारियों ने कई स्थानों पर रेत का भण्डारण कर रखा है। मैहर एरिया में हर जन सामान्य को पता है कि ऐसे अवैध रेत भंडारण कहां-कहां है। पता तो पुलिस और खनिज महकमे को भी है लेकिन कहीं राजनीतिक रसूख तो कहीं लेनदेन के कारण रेत के इन अवैध स्टाक पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। हालांकि कटनी, उमरिया जिले में आने वाली रेत का ज्यादातर कारोबार दो नंबर का हो रहा है।
इस तरह होती है शुरुआत
रेत के अवैध कारोबार की शुरुआत पंचायत क्षेत्र में पड़ने वाली नदी नालों की रेत से होती है। दो नंबर का जो भी कारोबार ज्यादातर सतना जिले को आने वाली रेत का होता है वह नदामन, अमरपुर और कोइलारी सहित नदहा नाला पार, बेलदरा, परसवारा और कुड़ी सलैया इलाके से होता है। यहां नदी में सीधे चेन माउंटेन घुसा कर रेत निकाली जाती है और बारिश होने की दशा में ट्रैक्टर से रेत नदी से निकालकर बाहर लाई जाती है और रेत कारोबारियों को बेची जाती है। इसमें एक स्थानीय सरपंच और उससे जुड़े 6 लोगों का पूरा दखल है। उसकी जिम्मेदारी रेत भरवाने तक होती है।
तहसीलदार का खाता बही

रेत कारोबार से जुड़े लोग बताते हैं कि रेत के अवैध कारोबार की शुरुआत कटनी जिले के बरही के तहसीलदार के नाम पर होती है। बताया जा रहा है कि इनके नाम से कथित एक लिपिक रेत कारोबारियों से तय शुदा राशि वसूलता है। यह अक्सर टोल नाके पर बैठता है और रेत लेकर गुजरने वाली गाडिय़ों के खाली नंबर नोट करता है। जिस गाड़ी का नंबर उसके भुगतान खाते में नहीं होता है उस पर कार्रवाई की जाती है। बताया गया है कि तत्कालीन कलेक्टर पंकज जैन के कार्यकाल में इन्हें यहां से हटाने की बात भी आई थी और तबादला भी हो चुका है लेकिन स्टे के बाद वे वहीं डटे हुए हैं।
सतना सीमा में थानों का खेल
जैसे ही अवैध रेत लेकर आ रहे ट्रक सतना जिले में प्रवेश करते हैं तो इन पर थानों की निगाहें जम जाती हैं। सतना में तीन थाने अवैध रेत की इंट्री में सबसे ज्यादा चर्चित हैं । इनके द्वारा 500 से 1500 रुपए तक की इंट्री प्रति ट्रक वसूली जाती है। रेत कारोबारियों की मानें तो इस मामले में बदेरा, मैहर और उचेहरा थाने का नाम सामने आ रहा है। इन थानों के नाम पर पुलिस कर्मी रेत की इंट्री लेते हैं।
खनि निरीक्षकों की भी बल्ले-बल्ले

पुलिस और राजस्व जब मामले में अवैध वसूली कर रहे हैं तो खनिज महकमा भी अपनी आंखें बंद करने का शुल्क वसूलता है। कटनी और उमरिया जिले से रेत लेकर आने वाले ट्रकों से बकायदें मासिक शुल्क बंधा रहता है और यह राशि इन्ही अवैध कारोबारियों के माध्यम से वसूली जाती है। चार-पांच रेत कारोबारी है जो अवैध रेत संचालन की राशि वसूल कर खनिज महकमे तक पहुंचाते हैं।
पुलिस और खनिज महकमे को नहीं दिखता
दो नंबर की रेत लाने वाले ट्रक करगिल ढाबा के पास आकर खड़े होते हैं। ज्यादातर के पास पिटपास नहीं होता। यह हर सामान्य व्यक्ति को पता है लेकिन सतना पुलिस और खनिज विभाग को नहीं नजर आता। उस पर जुमला होता है कि सबूत दो तो कार्रवाई होगी। वहीं राजस्व विभाग कार्रवाई का अधिकार होने के बाद भी चुप्पी साधे रहता है। तहसीलदार और एसडीएम रेत के अवैध कारोबार से दूरी बनाए रहते हैं।
ये नाम लो और सारे बैरियर ओपन

रेत कारोबार से जुड़े लोगों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है कि रेत के अवैध कारोबार में एक नाम अरविंद है। इस नाम के लेते ही सभी बैरियर खुल जाते हैं और इंट्री भी नहीं लगती है। बदेरा से मैहर थाने के बीच इस नाम की दहशत या प्रभाव कहें खुले आम अवैध कारोबार का संरक्षणदाता माना जाता है।

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