इससे पहले सुबह 7 बजे से ही मतदान केंद्रों के बाहर लंबी कतारें देखी गईं। हालांकि, शुरुआती घंटों में रफ्तार धीमी रही पर, दस बजे के बाद मतदान तेज गति से हुआ। अपरान्ह ३ बजे तक लगभग ५५ फीसदी मतदाता वोट डाल चुके थे। इस बीच कुछ गांवों में से मतदान के बहिष्कार की भी खबरें हैं। जहां ग्रामीणों ने विकास और सुविधाओं को लेकर की गई उपेक्षा के कारण मतदान नहीं किया। मझगवां तहसील के बिछियन में मतदानकर्मी ग्रामीणों का इंतजार करते रहे। पर समझाइश के बाद वोट अपरान्ह ३ बजे तक नहीं पड़े। यही हाल लामा और जैतवारा की पोलिंग नंबर179 बैरहना में रहा। जहां ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया। जबकि, दस्यु प्रभावित सरैयन में सुबह से ही मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक रही। उपचुनाव में महिला मतदाताओं में पुरुषों के अपेक्षा अधिक उत्साह देखा गया। गौरतलब है कि, १ लाख ९८ हजार मतदाताओं वाले विस क्षेत्र में १२ प्रत्याशी मैदान में हैं।
कांग्रेस विधायक प्रेमसिंह के गत २९ मई को हुए निधन से रिक्त सीट के लिए हुआ उप चुनाव भाजपा और कांग्रेस की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, उत्तरप्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत प्रदेश मंत्रिमंडल के सदस्यों और भाजपा संगठन ने अंतिम समय तक प्रचार किया। सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। संतों का आशीर्वाद लिया। और, मतदाताओं का विश्वास जीतने की कोशिश की। इधर, कांग्रेस ने भी प्रचार में दिग्गज नेताओं को उतारा। ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और अरुण यादव के अलावा नेता प्रतिपक्ष ने सीधा मोर्चा संभाला। उप चुनावों में जातीय समीकरणों का मतदाता पर अधिक असर नहीं रहा। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ब्राम्हण प्रत्याशियों क्रमश: नीलांशु चतुर्वेदी और शंकरदयाल शर्मा पर दांव लगाया है। शेष प्रत्याशियों में निर्दलीय प्रभात कुमारी चर्चा रहीं। जिन्हें बिछियन सामूहिक नरसंहार पीडि़ता के चलते बर्खास्त आईएएस डॉ. शशि कर्णावत ने उतारा है। जानकारों के अनुसार, वोट दिवंगत विधायक प्रेमसिंह की राख और शिवराज सिंह की साख के आधार पर डाले जा गए हैं। जिसकर परिणाम १२ नवंबर को सामने आएगा।