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सतना

17 साल से लापता चित्रकूट के पहले विधायक, तमाम सरकारें आईं लेकिन किसी ने नहीं ली तलाशने में रुचि

गांधी जी से प्रेरित थे शर्मा: 1952 से 1957 तक रहे विधायक, 1998 में किया था निर्दलीय प्रत्याशी रामप्रताप सिंह का प्रचार

सतनाNov 04, 2017 / 11:27 am

suresh mishra

chitrakoot first mla missing since 17 years

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सतना। चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र के पहले निर्वाचित विधायक रामसजीवन गौतम (शर्मा) का विगत 17 साल से कुछ पता नहीं है। रामसजीवन सन् 1952 में चुने गए थे। तब विस क्षेत्र विंध्य प्रदेश में था। चित्रकूट का नाम था पर सीट सभापुर कहलाती थी। विंध्य प्रदेश में सतना, रीवा, सीधी, शहडोल, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ एवं उत्तरप्रदेश का शिवरामपुर भी शामिल था।
मूलत: बैरहना बिरसिंहपुर के रहने वाले रामसजीवन की ननिहाल कलावल नागौद में थी। उन्हें ननिहाल की जायदाद मिली और यहीं आ गए। रामजीवन 1952 से 1957 तक विधायक रहे। 26 जून 2000 को घर से नागौद के लिए निकले थे। लेकिन अबतक उनका कोई पता नहीं है। पुत्र कालका प्रसाद गौतम सहित रिश्तेदारों ने हर संभावित जगह तलाश की पर, सुराग तक नहीं लगा।
महात्मा गांधी के साथ भी कई आंदोलनों में रहे

अंतिम बार उन्हें 1998 के विधानसभा चुनाव में नागौद के निर्दलीय प्रत्याशी रामप्रताप सिंह का प्रचार किया। हालांकि, शर्मा की मृत्यु के बारे में पुष्टि नहीं है बावजूद, सन् 2007 में सतना की अतिरिक्त न्यायाधीश की अदालत ने ऐसा मानकर वारिसों को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी कर दिया। स्वतंत्रता सेनानी शर्मा महात्मा गांधी के साथ भी कई आंदोलनों में रहे।
जसो में स्कूल, नागौद में मेडिकल शॉप
शर्मा के नाती जसो में स्कूल चलाते हैं। मेडिकल शॉप नागौद में है। क्षेत्र में कांग्रेस नेता के रूप में पहचाने जाने वाले कालका कलावल के सरपंच रह चुके हैं। गांव में खेती-किसानी भी करते हैं। उन्होंने कहा, पिताजी कब, किस परिस्थिति में कहां गए पता ही नहीं चला। अब तो आस भी अूट रही है। प्रदेश में तमाम सरकारें आईं-गईं लेकिन किसी ने उन्हें तलाशने में रुचि नहीं ली।
निर्दलीय प्रत्याशियों की बढ़ गई पूछ-परख
चित्रकूट विस उपचुनाव के मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है मुकाबला रोचक होता जा रहा है। सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी माहौल को अपने पक्ष में करने में जुटे हुए हैं। चुनाव में जीत दर्ज कराने निर्दलीय प्रत्याशियों को भी रिझाने का प्रयास तेज हो गया है। उपचुनाव में कुल १२ प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है। इनमें ९ उम्मीदवार निर्दलीय भाग्य अजमा रहे हैं।
एड़ी-चोंटी का जोर
चुनाव जीतने सभी उम्मीदवार एड़ी-चोंटी का जोर लगा रह हैं। क्षेत्र के राजनीतिक समीकरणों के अनुसार गुणा-भाग करना शुरू कर दिया है। इनमें से कई निर्दलीय प्रत्याशी एेसे हैं जो जीत-हार के गुणा-गणित को प्रभावित कर सकते हैं। एेसे चिन्हित प्रत्याशियों को अपने पक्ष में करने की कवायद आरंभ कर दी गयी है। इसके लिए बकायदा टीम बनायी गयी है जो कि ऐसे प्रत्याशियों से लगातार संपर्क में है। रिझाने के तमाम हथकण्डे अपनाए जा रहे हैं।
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