गुडगांव की रहने वाली तान्या ने बताया कि वे भारत के साथ साथ विदेशों में भी कई बार भरनाट्यम की प्रस्तुति दे चुकी हैं। यूके, वियतनाम, जापान, कनाडा, स्पेन, थाईलैंड जैसे शहरों में इसकी प्रस्तुति दे चुकी हैं। वहां के लोग भारत के इस शास्त्रीय नृत्य को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। बड़ी ही शालीनता के साथ इस नृत्य का आनंद लेते हैं। उन्हें संगीत के बोल समझ नहीं आते पर भाव को भलिभांति समझते हैं। जबकि भारत में कभी- कभी लोग इतने गंभीरता से इसे नहीं लेते। फिर भी मुझे एेसा लगता है जब एक अच्छा कलाकार दिल से भाव के साथ कोई प्रस्तुति देता है तो दर्शक अपने आप ही जुड़ जाते हैं।
तान्या कहती हैं कि वे शुरू से ही पद्मभूषण सरोजा वैद्यनाथ के मार्गदर्शन में इस नृत्य का प्रशिक्षण हासिल किया। 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने स्कूल के एनुअल फंक्शन में पहली प्रस्तुति दी, जो सभी को बेहद अच्छी लगी। साथ ही इस विधा में आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया। कॉलेज में आने के बाद वे बराबर गुरु के मार्गदर्शन और गणेश नाट्यालय के सानिध्य में इसकी प्रस्तुति भारत में देने लगी। उन्होंने कत्थक और ओडिसी नृत्यांगनाओं के साथ मिलकर भरनाट्यम की प्रस्तुति दे चुकी हैं जिसको काफी प्रशंसा मिली। अमेरिका के कंटेम्परेरी और फ्रांस के बासुरीवादक के साथ मिलकर उन्होंने भरनाट्यम में इंडोवेस्टर्न नृत्य की प्रस्तुति दी। तान्या को कविताएं लिखती है। कविता लेखन के लिए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा रजत पदक देकर सम्मानित किया था। इसके अलावा भी इस नृत्य के लिए कई अवार्ड उन्हे मिल चुके हैं। वर्तमान में तान्या नृत्य की प्रस्तुति के साथ दिल्ली और गुरुग्राम के बच्चों को भरतनाट्यम का प्रशिक्षण भी दे रही हैं।