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सतना

शास्त्रीय नृत्य मनोरंजन नहीं बल्कि साधना- जीवन दर्शन है

अतंरराष्ट्रीय भरतनाट्यम नृत्यांगना तान्या सक्सेना ने साझा किए अनुभव

सतनाOct 18, 2019 / 12:39 pm

Jyoti Gupta

Classical dance is not entertainment but sadhana, is life philosophy

Classical dance is not entertainment but sadhana, is life philosophy

सतना. शास्त्रीय नृत्य कोई मनोरजंन का साधन नहीं है यह साधना है। अध्यात्म है, जीवन का दर्शन है। यह कला है। जब हम सधना करते हैं तब जाकर शास्त्रीय नृत्य में महारथ हासिल होती है। जब हम शास्त्रीय नृत्य में रम जाते हैं तो जीवन रंगीन बन जाता है। यह कहना है शहर के एक इवेंट में दिल्ली से पहुंची भरनाट्यम विधा की अतंरराष्ट्रीय नृत्यांगना तान्या सक्सेना का ।
तान्या कहती हैं कि जब वह 13 साल की थी तब स्कूल में भरतनाट्यम की प्रस्तुति देखी, जो उन्हें बेहद भाई। मां को संगीत से लगाव था इसलिए उन्होंने इसी उम्र से मुझे भरतनाट्यम की तालीम दिलानी शुरू कर दी। पहले यह मेरा शौक था पर अब यह जुनून बन गया। इसमें ऊर्जा है, जो मुझे अपनी ओर आकषॢत करती है। वे कहती हैं जब उन्होंने इसे सीखना शुरू किया तब इस बात का ख्याल नहीं था, कि इसे प्रोफेशन के तौर पर लेगीं, लेकिन जब वह इसमें घुसने लगी, रमने लगी, इसे समझने लगी तो उनके े रोम रोम में बस गया।
विदेशी शालीनता के साथ देखते हैं
गुडगांव की रहने वाली तान्या ने बताया कि वे भारत के साथ साथ विदेशों में भी कई बार भरनाट्यम की प्रस्तुति दे चुकी हैं। यूके, वियतनाम, जापान, कनाडा, स्पेन, थाईलैंड जैसे शहरों में इसकी प्रस्तुति दे चुकी हैं। वहां के लोग भारत के इस शास्त्रीय नृत्य को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। बड़ी ही शालीनता के साथ इस नृत्य का आनंद लेते हैं। उन्हें संगीत के बोल समझ नहीं आते पर भाव को भलिभांति समझते हैं। जबकि भारत में कभी- कभी लोग इतने गंभीरता से इसे नहीं लेते। फिर भी मुझे एेसा लगता है जब एक अच्छा कलाकार दिल से भाव के साथ कोई प्रस्तुति देता है तो दर्शक अपने आप ही जुड़ जाते हैं।
14 साल की उम्र में दी पहली प्रस्तुति
तान्या कहती हैं कि वे शुरू से ही पद्मभूषण सरोजा वैद्यनाथ के मार्गदर्शन में इस नृत्य का प्रशिक्षण हासिल किया। 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने स्कूल के एनुअल फंक्शन में पहली प्रस्तुति दी, जो सभी को बेहद अच्छी लगी। साथ ही इस विधा में आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया। कॉलेज में आने के बाद वे बराबर गुरु के मार्गदर्शन और गणेश नाट्यालय के सानिध्य में इसकी प्रस्तुति भारत में देने लगी। उन्होंने कत्थक और ओडिसी नृत्यांगनाओं के साथ मिलकर भरनाट्यम की प्रस्तुति दे चुकी हैं जिसको काफी प्रशंसा मिली। अमेरिका के कंटेम्परेरी और फ्रांस के बासुरीवादक के साथ मिलकर उन्होंने भरनाट्यम में इंडोवेस्टर्न नृत्य की प्रस्तुति दी। तान्या को कविताएं लिखती है। कविता लेखन के लिए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा रजत पदक देकर सम्मानित किया था। इसके अलावा भी इस नृत्य के लिए कई अवार्ड उन्हे मिल चुके हैं। वर्तमान में तान्या नृत्य की प्रस्तुति के साथ दिल्ली और गुरुग्राम के बच्चों को भरतनाट्यम का प्रशिक्षण भी दे रही हैं।
अर्ध्यनारीश्वर नृत्य की दी शानदार प्रस्तुत

स्पिक मैके संस्था द्वारा आयोजित शास्त्रीय नृत्य प्रशिक्षण के तहत बुधवार को तान्या सक्सेना ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय घूरडाग, शासकीय माध्यमिक शाला कोलगवा में भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी। उन्होंने पहले छात्रों को इस विधा की जानकारी दी। विभिन्न मुद्राओं से परिचय कराया। इसके बाद शिव और पार्वती के अध्र्यनारीश्वर संदर्भ का वर्णन नृत्य के माध्यम से किया। मौके पर उपाध्यक्ष वीरेन्द्र सहाय सक्सेना, प्राचार्य आई पी गर्ग, संतोष कुमार सिंह, उमेश साहनी, संयोजक धर्मेन्द्र सेन, ए पी सिंह, आशुतोष विश्व, रजनीश त्रिपाठी, प्रधानाध्यापक अमित कुमार दुबे, डॉ. हेमन्त कुमार डेनियल, प्रशान्त श्रीवास्तव, चन्द्र शेखर त्रिापाठी, धर्मेंद्र सेन मौजूद रहे।

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