शिक्षित वर्ग ने बताया कि गांव के जागरूक मजदूरों ने खुद अपने-अपने खेतों तंबू और पेड़ों के नीचे ठहरे हुए है। जो श्रमिक खेतो में ठहरे है वे दो दिन पहले पांच लोग साथ में लौटकर मुंबई से आए थे। इनकी न तो सरपंच ने सुध ली और न ही खाने पीने की कोई व्यवस्था की गई। जबकि शासनस्तर से सभी पंचायतों को फंड भी दिया गया है। उसको मिल बांटकर खाने की तैयारी की जा रही है।
मंगरौरा के ग्रामीणों ने बताया कि जिस स्कूल को क्वारंटीन सेंटर बनाया गया है। वहां न तो बिजली है और न पानी। इसीलिए आरोप-प्रत्यारोप से बचने के लिए प्रवासी मजदूरों को क्वारंटीन सेंटर में न ठहरा कर सीधे घर भेजा जा रहा है। जिससे स्कूल में ठहरने वाले मजदूर कल कोई सुविधाओं की मांग न उठाए।