पेयजल संकट से जूझ रहे लोगों का कहना है कि 10-10 दिन लोग बूंद-बूंद पानी को तरस जाते हैं और 10 दिन बाद जब जलापूर्ति बहाल होती है तो मिट्टी और कचरा युक्त पानी होता है। इस दूषित जलापूर्ति से लोग बीमार हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये सब संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों की जानकारी में है, फिर भी शुद्ध जलापूर्ति के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।
नतीजतन लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। लोगों का आरोप है कि इलाके के जनप्रतिनिधियों का भी इस पर कोई ध्यान नहीं। ग्रामीणों का आरोप है कि नगर परिषद रामनगर, क्षेत्रीय दबंग और अपने करीबियों के यहां टैंकर से पानी पहुंचा देता है जिससे उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती। लेकिन आमजन शुद्ध पेयजल के लिए दर-दर भटकने को विवश हैं।