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सतना

truth of development: 13 करोड़ खर्च के बाद भी नागरिकों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं

-truth of development: जो जलापूर्ति हो रही है वो भी दूषित, लोक पड़ रहे बीमार

सतनाSep 14, 2021 / 01:18 pm

Ajay Chaturvedi

रामनगर परिषद कार्यालय

रामनगर परिषद कार्यालय

सतना. विकास का ढिंढोरा (truth of development) पीटने वाली सरकारों का आलम यह है कि लोगों को पीने को शुद्ध पेयजल भी नसीब नहीं हो रहा। आलम यह है कि जनता-जनार्दन को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए 13 करोड़ रुपये जरूर खर्च किए गए पर वो एक तरह से पानी में ही बह गया। अब तो आलम ये है कि कभी मोटर खराब हो जाती है तो कभी पानी की पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो जाती है। शिकायत करने के बाद भी 10-10 दिन लग जाते हैं सुचारू पेयजलापूर्ति को। ये हाल है रामनगर परिषद का।
पेयजल संकट से जूझ रहे लोगों का कहना है कि 10-10 दिन लोग बूंद-बूंद पानी को तरस जाते हैं और 10 दिन बाद जब जलापूर्ति बहाल होती है तो मिट्टी और कचरा युक्त पानी होता है। इस दूषित जलापूर्ति से लोग बीमार हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये सब संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों की जानकारी में है, फिर भी शुद्ध जलापूर्ति के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।
नतीजतन लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। लोगों का आरोप है कि इलाके के जनप्रतिनिधियों का भी इस पर कोई ध्यान नहीं। ग्रामीणों का आरोप है कि नगर परिषद रामनगर, क्षेत्रीय दबंग और अपने करीबियों के यहां टैंकर से पानी पहुंचा देता है जिससे उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती। लेकिन आमजन शुद्ध पेयजल के लिए दर-दर भटकने को विवश हैं।

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