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सतना

‘कत्थक नृत्य नहीं साधना है, यह ईश्वर का आशीर्वाद है’

नृत्यांगना सुरश्री ने पत्रिका से साझा किए अनुभव

सतनाSep 17, 2019 / 12:37 pm

Jyoti Gupta

Dancer Surshree shared experiences with the  patrika

Dancer Surshree shared experiences with the patrika

सतना. कत्थक नृत्य नहीं बल्कि साधना है। जो हर किसी के लिए आसान नहीं। यह ईश्वर का आशीर्वाद है, जिसका मैं सम्मान करती हंू। इसमें मेरा जीवन बसता है। अब इसके सिवा कुछ और भाता ही नहीं। यह बात सोमवार को कोलकाता की विश्वप्रख्यात कत्थक नृत्यांगना सुरश्री भट्टाचार्या ने पत्रिका से कही। उन्होंने बताया कि तीन साल की उम्र से ही नृत्य करना शुरू कर दिया था। मां सुपर्णा और पिता सनत भट्टाचार्य ने उनका काफी साथ दिया। जब वह बारहवीं में आईं तब उन्होंने जाना कि कत्थक ही उनका जीवन है और इसी विधा में उन्हें आगे बढऩा है। इसके बाद उन्होंने गुरु सुब्रतो राय से कत्थक की तालीम लेना शुरू किया। परिवार के लोगों में संगीत और कला के प्रति लगाव रहा, जिसके चलते उन्हें इस फील्ड में आगे बढऩे की मदद मिली। इसके बाद उन्होंने यदातिक डांस एकेडमी को ज्वॉइन किया। वहां गुरु नैनिका घोष से कत्थक की विविध शैलियों का प्रशिक्षण लिया। वहीं उनकी मुलाकात गुरु भाषवती मिश्रा और पंडिज बिरजू महाराज से हुई। वे प्रख्यात कलाकार संदीप मलिक की वरिष्ठ शिष्या भी हैं।
बदल गया जीवन, नृत्य दर्शन का हुआ बोध
नृत्यांगना सुरश्री बताती हैं कि पंडिज बिरजू महाराज की शिष्या बनने के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया। अब उन्हें हर वक्त कत्थक ही नजर आने लगा। वे कत्थक का मनन करने लगीं। उन्होंने पं. बिरजू से नृत्य ही नहीं बल्कि कत्थक की फिलासिपी को जाना। इसके बाद खुद से कई नृत्य को कंपोज करना शुरू कर दिया। उनकी एकेडमी गंधर्वी में वे हजारों बच्चों को कत्थक का प्रशिक्षण दे रही हैं। वे कत्थक फार्म को सहज और सरलता अभिनय के साथ प्रस्तुत करती हैं। यही गुण अपने छात्रों में विकसित करती हैं।
देश ही नहीं विदेशों में देती हैं प्रस्तुति

सुरश्री कहती हैं कि उन्होंने भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कत्थक की हजारों प्रस्तुतियां दी हंै। वहां के लोग कत्थक को बहुत ही सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। यूरोप, अफ्रीका, नार्थ इस्ट, वेस्ट साउथ, चाइना, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड में प्रस्तुत किया। दुनियाभर के कई प्रतिष्ठित समारोह में कत्थक का प्रदर्शन देती है। उन्होंने पंच दुर्गा, शिवोशक्ति, स्वच्छ भारत अभियान, महाप्रयाण रचना में खुद के कत्थक नृत्य को इजाद किया। ठुमरी, गजल, बइठकी भाव के गाने में माहिर हैं।
उपलब्धि
– प्रसार भारती की रजिस्टर्ड कलाकार

– आउट स्टैंडिंग अवार्ड
– सुरशृंगार मणि सम्मान

– नृत्य निपुण सम्मान
– संगीत विसारद

– मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर की नेशनल स्कॉलरशिप

घुंघरुओं की झंकार से गंूज उठा प्रांगण
अद्भुत शृंगार, विविध हस्त मुद्राएं और विविध भाव भंगिमाओं के साथ जैसे ही अंतरराष्ट्रीय नृत्यांगना सुरश्री भट्टाचार्या ने कत्थक की मनमोहक प्रस्तुति दी, पूरा प्रांगण घुंघरुओं की झंकार से गंूज उठा। स्पिक मैके द्वारा एमएलबी और शासकीय स्कूल खूंथी में आयोजित कत्थक वर्कशॉप में उन्होंने धमाल मचा दिया। गुरुवंदना से कत्थक नृत्य की शुरुआत की। इसके बाद शिवोशक्ति, मीरा का भजन आंखियां हरि दर्शन को प्यासी, तराना, श्रीकृष्ण लीला और यशोदा के माखन चोरी दृश्य को कत्थक प्रस्तुतियों से पेश किया। इस बीच उन्होंने रिद्म में घुंघरू की आवाज से बारिश और टे्रन की आवाज निकाली। उनके एक-एक परफॉर्मेंस में छात्राओं द्वारा जोरदार तालियां बजाई गर्ईं। इस बीच उन्होंने छात्रों को कत्थक की बारीकियों से रूबरू कराया। हस्त मुद्रा, फुट वर्क की जानकारी दी। साथ ही नृत्य को मैथ, साइंस से जोड़ कर बताया। मौके पर स्कूल के प्राचार्य कुमकुम भटटाचार्य, राकेश मिश्रा और स्पिक मैके के अध्यक्ष डॉ. हेमंत कुमार डेनियल, वीरेंद्र सहाय, रंजना सोनी, प्रदीप श्रीवास्तव, राज, विनोद, संजय, उमेश, प्रशांत श्रीवास्तव मौजूद रहे।

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