बताया गया कि पूर्व में डिग्री कॉलेज स्टेशन रोड स्थित भवन से संचालित हो रही थी। लेकिन शासकीय कन्या महाविद्यालय को भवन देने के बाद नवीन भवन गहरा नाला में शिफ्ट हो गई। ऐसे में महाविद्यालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवास निर्माण के लिए असुविधा हो रही है। ये जमीन मिलने के बाद डिग्री कॉलेज प्रबंधन आसानी से अपने स्टाप के लिए कालोनी बना सकता है।
तत्कालीन प्राचार्य ने अपने पत्राचार में बताया था कि महाविद्यालय को नैक बेंगलोर यूजीसी द्वारा स्थापित संस्था ने वर्ष 2012 में बी ग्रेड प्रदान किया था। भविष्य में ये महाविद्यालय ड्रीम्ड यूनिर्वसिटी बन सकती है। जिसका प्रस्ताव भी यूजीसी को भेजने की बात कही थी। लेकिन जिले के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण डिग्री कॉलेज की जमीन सात साल के पत्राचार के बाद भी वापिस नहीं हुई।
सूत्रों की मानें तो रीवा रोड स्थित बाण सागर कालोनी वर्तमान समय में असमाजिक तत्वों का अड्डा बनी हुई है। इस परिसर में कोई भी बिना रोक-टोंक आ और जा सकता है। जर्जर मकान और झाडिय़ों के बीच शरारती तत्व अपना सुरक्षित अड्डा बनाए हुए है। जब पत्रिका संवाददाता खुद कॉलोनी में पहुंचकर वस्तुस्थिति जाननें की कोशिश की तो परिसर में बकरियां मंडरा रही थी। नई बस्ती आने-जाने के लिए कई शार्टकट मार्ग बने हुए थे। कॉलोनी में कोई जिम्मेदार नहीं।
पूछताछ में एक कालोनी की महिला ने बताया कि वर्तमान समय में बाण सागर परियोजना कार्यालय के आधीन पुरवा नहर संभाग क्रमांक-2 और अनुविभागीय अधिकारी क्रमांक-2 एवं 4 कार्यालय लगता है। वहीं बरगी-नर्मदा परियोजना से जुड़े एक कर्मचारी ने बताया कि बरगी-नर्मदा परियोजना का कार्यालय भी इस समय लग रहा है। वहीं एक कार्यालय नागौद में भी बनाया गया है।