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सतना

नहर की मांग को लेकर किसानों का हल्ला-बोल, एक सैकड़ा किसानों ने घेरा कलेक्ट्रेट

नहर नहीं तो वोट नहीं का नारा लगाते रहे किसान, कहा, झूठे वादों में खड़ी सतना के जनप्रतिनिधियों की नींव

सतनाApr 24, 2018 / 07:20 pm

suresh mishra

demand for canal formers demonstrate in satna collectorate

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सतना. नहर की उपेक्षा का दर्द झेल रहे रैगांव विधानसभा के सैकड़ों किसान आंदोलित हो गए। मंगलवार की दोपहर करीब 1 बजे एक सैकड़ा किसान एकत्र होकर पहले कलेक्ट्रेट का घेराव किया। फिर इसके बाद कलेक्टर मुकेश कुमार शुक्ला को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बताया गया कि जिले के सभी क्षेत्रों में लगभग बाणसागर या फिर बरगी नहर का पानी पहुंच चुका है। लेकिन रैगांव विधानसभा क्षेत्र के किसानों के खेत एक-एक बूंद पानी को तरस रहे है।
वहीं दूसरी ओर किसानों को तपती धूप में कोशों दूर पानी के लिए जाना पड़ता है। नहर का पानी न पहुंचने से हर साल सूखे का दर्द क्षेत्र के किसान झेल रहे है। यहां तक की गर्मी में लोगों को पीने के लिए पानी तक नहीं मिल पाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में नहर पहुंचने से जहां खेतों को पर्याप्त पानी मिल जाता है। वहीं वाटर लेवल भी सही रहता है।
ये है योजना
बताया गया कि नर्मदा नदी में बरगी बांध बनाने के लिए सन 1968 में योजना आयोग की मंजूरी मिली थी। जिसके बाद 1974 में बांध निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ। लगभग 16-17 वर्षों में ही 1990-91 में यह बांध बनकर तैयार हो गया। फिर इसके बाद नहरों का विस्तारीकरण शुरू हो गया। बरगी के दायीं तट पर स्थित कटनी, सतना, रीवा जिले के गांवों में पानी पहुंचाने की नहर परियोजना थी। इसलिए सन 2003 से 2008 के बीच सतना जिले की रैगांव विधानसभा क्षेत्र के 170 गांवों में नहर का सर्वे हो गया और सरकारी निर्देशानुसार सन 2012 तक क्षेत्र के सभी गांवों में नहर का पानी पहुंचा दिया जाना था। मगर जन नेताओं की उदासीनता के चलते आज सन 2018 तक क्षेत्र में कहीं भी बरगी नहर का नामों निशान तक नजर नहीं आ रहा है। बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही जनता निराश है। सरकार के रवैये से पूरी ग्रामीण जनता आक्रोशित है।
नहर नहीं तो वोट नहीं
किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि जनप्रतिनिधियों की झूठी घोषणाएं और झूठे वायदे सुनते-सुनते क्षेत्र की जनता ने आगामी चुनाव को बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। कहा कि जब तक क्षेत्र के सभी गांवों में नहर का पानी नहीं पहुंच जाता तब तक सभी जन अपनी-अपनी स्वेच्छा से आगामी सभी चुनावों का बहिष्कार करेंगे। जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। पानी से त्रस्त लोगों का कहना है कि पानी नहीं तो वोट नहीं। नहर नहीं तो वोट नहीं।

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