बताया गया कि नर्मदा नदी में बरगी बांध बनाने के लिए सन 1968 में योजना आयोग की मंजूरी मिली थी। जिसके बाद 1974 में बांध निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ। लगभग 16-17 वर्षों में ही 1990-91 में यह बांध बनकर तैयार हो गया। फिर इसके बाद नहरों का विस्तारीकरण शुरू हो गया। बरगी के दायीं तट पर स्थित कटनी, सतना, रीवा जिले के गांवों में पानी पहुंचाने की नहर परियोजना थी। इसलिए सन 2003 से 2008 के बीच सतना जिले की रैगांव विधानसभा क्षेत्र के 170 गांवों में नहर का सर्वे हो गया और सरकारी निर्देशानुसार सन 2012 तक क्षेत्र के सभी गांवों में नहर का पानी पहुंचा दिया जाना था। मगर जन नेताओं की उदासीनता के चलते आज सन 2018 तक क्षेत्र में कहीं भी बरगी नहर का नामों निशान तक नजर नहीं आ रहा है। बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही जनता निराश है। सरकार के रवैये से पूरी ग्रामीण जनता आक्रोशित है।
किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि जनप्रतिनिधियों की झूठी घोषणाएं और झूठे वायदे सुनते-सुनते क्षेत्र की जनता ने आगामी चुनाव को बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। कहा कि जब तक क्षेत्र के सभी गांवों में नहर का पानी नहीं पहुंच जाता तब तक सभी जन अपनी-अपनी स्वेच्छा से आगामी सभी चुनावों का बहिष्कार करेंगे। जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। पानी से त्रस्त लोगों का कहना है कि पानी नहीं तो वोट नहीं। नहर नहीं तो वोट नहीं।