निविदा स्वीकृति के लिए 4 माह कम, अभी 2 माह और लगेंगे चित्रकूट गौरव दिवस पर मुख्यमंत्री के सामने यहां की खस्ताहाल सड़कों की समस्या रखी गई थी। उन्हें बताया गया था कि सीवरेज प्रोजेक्ट के तहत बड़े पैमाने पर सड़कों को खोद कर छोड़ दिया गया और उनका रेस्टोरेशन नहीं किया गया है। सीएम के असंतोष जताने के बाद निर्माण एजेंसी एमपीयू़डीसी के प्रमुख अभियंता ने इसका ठेका निरस्त कर दिया था। लेकिन उनकी गंभीरता की बात करें तो अप्रैल में ठेका निरस्त करने के बाद नई निविदा आज तक स्वीकृत नहीं हो सकी है। अब कहा जा रहा है कि अक्टूबर तक संभावना है। इससे स्पष्ट है कि दिसंबर तक काम होना मुश्किल है। लिहाजा चित्रकूट वासियों को इस पूरे साल खस्ताहाल टूटी सड़कों पर चलने के लिये मजबूर होना पड़ेगा।
न सीएम आते न आला अफसरों को पता चलता मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन ने चित्रकूट में बैठक ली थी। जिसमें चित्रकूट की खस्ताहाल सड़कों और सीवरेज के कामों में लेट लतीफी की जानकारी प्रमुखता से सामने रखी गई थी। जिस पर उन्होंने सीवरेज का ठेका निरस्त करने के निर्देश दिए थे। इसके परिपालन में प्रमुख अभियंता एमपीयूडीसी ने 29 अप्रैल 2022 को ठेका निरस्त कर दिया था। चार माह गुजरने के बाद भी निर्माण एजेंसी ने अभी तक नई निविदा जारी नहीं की। हद तो ये हो गई कि अब परियोजना प्रबंधक एमपीयूडीसी रीवा ने सीएमओ को पत्र लिख कर बताया है कि निविदा स्वीकृति अभी प्रक्रियाधीन है। साथ ही बताया है कि यह अक्टूबर तक स्वीकृत होने की संभावना है। नवीन संविदाकार के कार्य प्रारंभ करने पर ही सीसी सड़कों का परमानेंट रेस्टोरेशन कार्य संभव हो सकेगा। परियोजना प्रबंधक के इस पत्र के बाद अब स्पष्ट हो गया है कि चित्रकूट वासियों को अभी अच्छी सड़कों के लिये नये साल का इंतजार करना पड़ेगा।
चित्रकूट के काम भगवान भरोसे, अफसरों ने बनाया चारागाह अब तो चित्रकूट के निवासी यह मानने और कहने लगे हैं कि चित्रकूट के काम भगवान भरोसे है। यदा कदा जिले के अधिकारी पहुंचते हैं तो डायलॉग देकर चले जाते हैं। इनका जमीनी क्रियान्वयन नजर नहीं आता। तुलसी मार्ग की छः माह में बनने वाली पुलिया 6 साल में नहीं बन सकी। सड़कों का कोई माई-बाप नहीं है। सिर्फ कमीशनखोरी हो रही है काम के नाम पर। चित्रकूट अफसरों का सिर्फ चारागाह बन कर रह गया है। इससे ज्यादा हद क्या होगी की सीएम की घोषणा को भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। लोगों की मूल भूत चलने फिरने की सुविधा पर अगर गंभीरता नहीं है तो स्पष्ट है कि सरकार चित्रकूट को कितनी गंभीरता से लेती है। वहीं उत्तर प्रदेश के हिस्से के चमचमाता चित्रकूट देखकर अलग ही हालात नजर आते हैं कि योगी जी राम के लिए कितने गंभीर हैं।