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कांग्रेस में जिलाध्यक्ष की कवायद तेज, कई नामों पर हो रहा मंथन

locationसतनाPublished: Jan 20, 2020 01:19:11 am

Submitted by:

Ramashankar Sharma

सियासत: अपने-अपने आकाओं से संपर्क में जुटे दावेदार

District president's exercise in Congress intensified, brainstorming on many names

District president’s exercise in Congress intensified, brainstorming on many names

सतना. कांग्रेस अब संगठनात्मक मजबूती की दिशा में तेजी से काम करना शुरू कर चुकी है। इसके लिए जिलास्तर पर बड़े फेरबदल की कवायद भी शुरू हो चुकी है। एआईसीसी ने अपनी ओर से कुछ नाम निकाले हैं तो प्रक्रिया की जानकारी के बाद कुछ दावेदार भी अपने नाम आगे बढ़ा चुके हैं। हालांकि विचार दिल्ली में होना है, लिहाजा माना जा रहा कि इस बार जिलाध्यक्ष पद का चयन काफी सतर्कता से होगा। साथ ही पिछले 10 सालों के उनके कामकाज का लेखा-जोखा लिया जाएगा।
जिस तरीके की कवायद हो रही है उसमें यह भी देखा जा रहा कि संबंधित ने पार्टी के लिए कितनी मेहनत और वफादारी दिखाई है। इन सबका आकलन करने के बाद ही अंतिण निर्णय लिया जाएगा। इस बार फोकस कुछ नए और यंग चेहरों पर भी किया जा रहा। माना जा रहा कि यह कवायद पंचायत चुनावों के पहले पूरी कर ली जाएगी।
होम वर्क पूरा, नामों का रजिस्टर तैयार

पार्टी के अंदरखाने से आई जानकारियों को मानें तो जिलों के संगठनात्मक बदलाव को लेकर कांग्रेस पूरी तरह से गंभीर हो गई है। एआईसीसी महासचिव एवं मध्यप्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया, एआईसीसी सचिव एवं मध्यप्रदेश प्रभारी सुधांशु त्रिपाठी सहित एआईसीसी समन्वयक दिलीप वाजपेयी ने इस दिशा में अपना होम वर्क लगभग पूरा कर लिया है। जिलेवार रजिस्टर तैयार किए जा चुका है और उसमें सभी सक्रिय नामों और उनकी गतिविधियों का लेखाजोखा मौजूद है। अब इस आधार पर आगे की कवायद शुरू है। जिले के लिए उपयुक्त नामों पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, बड़े नेताओं से भी चर्चा की जा रही। साथ ही दिल्ली रैली के लिए सतना पहुंचे पदाधिकारियों ने भी इस दौरान काफी कुछ जानकारियां अपने स्तर पर भी इकट्ठा कर ली थीं।
चर्चा इन नामों की
जो जानकारी आई है उसके अनुसार जिलाध्यक्ष पद के लिए राजाराम त्रिपाठी, मनीष तिवारी, उर्मिला त्रिपाठी, राजेंद्र मिश्रा, अजीत पटेल, दिनेश दुबे, प्रागेंद्र बागरी, राजीव वैरागी के नामों पर विचार किया जा रहा। इनके अलावा भी कुछ और हैं जो अपने स्तर पर दिल्ली तक की दौड़ लगा चुके हैं। अपने नाम विचार में लाने अपने आकाओं की चौखट पर पहुंच रहे हैं।
यह होंगे मापदण्ड

इस बार संगठनात्मक सक्रियता को लेकर कांग्रेस गंभीर है। निर्विवादित और साफ चेहरा देना चाहती है। साथ ही सभी से सामंजस्य और गुटबाजी से परे चेहरे की दिशा पर भी फोकस है। 10 सालों में इनकी कांग्रेस के प्रति गतिविधियां और सक्रियता क्या रही हैं, इसका भी विश्लेषण किया जा रहा है। कवायद यह की जा रही कि पंचायत चुनावों के पहले नामों पर अंतिम मुहर लग जाए।
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