सतना

खनिज मदः पुराने काम हुए नहीं पूरे, अब नए कार्य स्वीकृति पर कर दिया फोकस

डीएमएफ मद के खर्च पर प्रशासन की मनमानी
खनिज भवन और कलेक्ट्रेट कार्यालय में अटकी नस्तियां
 
 

सतनाOct 19, 2019 / 01:49 am

Ramashankar Sharma

DMF: Old works not completed, now focus on acceptance of new works

सतना. जिले में विकास और विस्तार के लिए खनिज प्रतिष्ठान मद से करोड़ों रुपये विभिन्न विभागों को जारी करने के बाद अधिकारी उसकी सुध लेना भूल गए। हालात अब यह है कि अधिकारियों का पूरा जोर नए कार्यों की स्वीकृति पर है, लेकिन पुराने अधूरे कार्यों का क्या हुआ, इसपर किसी का ध्यान नहीं है। साढ़े पांच सौ से ज्यादा काम आज की स्थिति में दूसरी किस्त के इंतजार में अधूरे पड़े हैं। संबंधित विभागों का कहना है कि फाइलें खनिज विभाग और कलेक्टे्रट में डंप पड़ी हैं। इतना ही नहीं जो राशि विभागों को एक मुश्त दी गई है, उसकी उपयोगिता पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
900 कार्यों के लिए प्रभारी मंत्री ने किया था अनुमोदन
विभिन्न विभागों की मांग पर प्राथमिकता के लगभग 900 कामों के लिए प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद कलेक्टर ने करोड़ों रुपये जारी किए थे। हालात यह थे कि स्वास्थ्य महकमे को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मुंह मांगी राशि जारी की गई। अकेले जिला अस्पताल को 4 करोड़ रुपये के लगभग जारी कर दिए गए।
ग्रामीण सेवाओं पर दिए थे ढाई करोड़

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ढाई करोड़ रुपये सीएमएचओ को दे दिए गए। फर्नीचर खरीदने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग को दो करोड़ के लगभग की राशि जारी की गई। केचुआ खाद को बढ़ावा देने के लिए वर्मी कम्पोस्ट किट के लिए 6 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए। इसमें से फर्नीचर और वर्मी कम्पोस्ट में तो व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार सामने आ चुका है और सामान्य सम्मेलन की बैठक के बाद वर्मी कम्पोस्ट घोटाले की जांच भी शुरू है। लेकिन स्वास्थ्य महकमे में कितने उपकरण खरीदे गए और कितने का उपयोग किया जा रहा है, इसकी जानकारी देने वाला कोई नहीं।
600 काम कलेक्टे्रट की अनदेखी से लटके
विभागों से जिस तरीके की जानकारी सामने आ रही है, उसमें लगभग 600 काम दूसरी किस्त के अभाव में लंबित पड़े हुए हैं। इसके संबंध में फाइल खनिज विभाग को दी जा चुकी है, जहां से बताया जा रहा है कि नस्ती कलेक्टर कार्यालय में लंबित है। वहां से जैसे ही नस्तियों को हरी झंडी मिलती है तो चेक जारी कर दिए जाएंगे।
गड़बड़झाले के कारण साकेत ने बना ली थी दूरी

खनिज प्रतिष्ठान मद के कामों में जिस तरीके के गड़बड़झाले हो रहे थे और उसमें व्यापक अनियमितताएं कार्य स्वीकृति के साथ ही नजर आने लगी थीं। इसको देखते हुए तत्कालीन जिपं सीईओ साकेत मालवीय ने इस व्यवस्था को जिला पंचायत से अलग करते हुए खनिज विभाग को देने के लिए टीप लिखी थी। इसके बाद से मामला जिला पंचायत से हट कर खनिज विभाग में चला गया है।

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