वरिष्ठता की अनदेखी
काउंसलिंग के दिन सभी उत्कृष्ट विद्यालयों के अतिशेष शिक्षकों को बुलाया गया था। यह काउंसलिंग अतिशेष शिक्षकों की तय पदस्थापना के नियमानुसार की गई। इसमें नियम है कि वरिष्ठता के आधार पर शिक्षकों को मनचाहे विद्यालय चयन के लिए बुलाया जाएगा। जीव विज्ञान विषय की जब काउंसलिंग हुई तो इसमें उत्कृष्ट विद्यालय मैहर के शिक्षक अतुल गर्ग को दूसरे नंबर पर बुलाया गया। गर्ग काउंसलिंग में पहुंचे और व्यंकट 2 विद्यालय का चयन किया। इस दौरान उपस्थिति और चयन के दो अलग-अलग स्थानों पर उन्होंने अपने हस्ताक्षर किए। इसके बाद वे चले गए। इनके जाने के बाद चौथे नंबर पर शिक्षक उपेंद्र सिंह को जब बुलाया गया तो उन्होंने यह कहते हुए अपनी आपत्ति जताई कि उनकी वरिष्ठता अतुल गर्ग से ज्यादा है। लिहाजा अतुल के पहले उन्हें बुलाया जाना था। इस पर जब दस्तावेजों की जांच की गई तो पाया गया कि आपत्ति सही है और समिति के पास मौजूद रिकार्ड गलत हैं। ऐसे में समिति ने आपत्ति स्वीकार करते हुए अतुल के चयन को अमान्य करते हुए उपेंद्र को विद्यालय चयन का अवसर दिया और उन्होंने व्यंकट 2 का चयन कर लिया। लेकिन समिति ने तय मापदण्डों का पालन नहीं किया और बिना अतुल को अवसर दिए उन्हें अनुपस्थित करार देते हुए पदस्थापना अपने मन से कर दी।
अब मामले में सहायक संचालक एनके सिंह सफाई दे रहे कि अतुल को कई बार फोन लगाया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। सवाल यह खड़ा हो रहा कि अगर किसी का मोबाइल से संपर्क नहीं हो पाता है तो क्या उसे अनुपस्थित करार दे दिया जाएगा। जबकि विभागीय जानकारों का कहना है कि समिति के गलत निर्णय से अगर आपत्ति सामने आई है तो उससे संबंधित पक्ष को लिखित सूचना देकर उस मामले का निराकरण किया जाना चाहिए। यहां तो जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय में 10 जून के बाद 10 दिन तक सूची रखी रही तो क्या इस अवधि में भी संबंधित शिक्षक से संपर्क नहीं हो सका? हालांकि यह मामला प्रभारी मंत्री तक भी पहुंचा है, जिसमें इसके समुचित निराकरण के निर्देश दिए गए हैं।
मामले में पता चला कि समिति ने संबंधित विद्यालयों के प्राचार्यों से वरिष्ठता संबंधी अभिलेख मंगाए थे। इसमें अतुल गर्ग के प्राचार्य ने उनकी डेट ऑफ ज्वाइनिंग 1998 तथा उपेन्द्र सिंह के प्राचार्य ने वर्ष 2000 के बाद बताई थी। इतना ही नहीं नियमानुसार वरिष्ठता सूची का पहले प्रकाशन किया जाता है और उसमें दावा आपत्ति मंगाई जाती है। लेकिन इस काउंसलिंग में इसकी भी अनदेखी की गई।
ऐसा ही एक बड़ा गड़बड़झाला काउंसलिंग में दो और शिक्षकों की पदस्थापना में सामने आया है। इसमें दोनों शिक्षक अलग-अलग उत्कृष्ट विद्यालयों मे एनसीसी के प्रभारी हैं। एक व्यंकट क्रमांक एक में और दूसरे नागौद उत्कृष्ट में। व्यंकट 1 के अध्यापक राकेश त्रिपाठी ने खुद को एनसीसी प्रभारी बताते हुए काउंसलिंग में शामिल होने से मना कर दिया। जबकि, उनकी यह आपत्ति नियमानुसार स्वीकार नहीं होनी चाहिए थी। लेकिन सहायक संचालक ने यह कहकर आपत्ति स्वीकार कर ली कि उनके चले जाने से एनसीसी की व्यवस्था बिगड़ जाएगी। वहीं नागौद उत्कृष्ट विद्यालय के एनसीसी प्रभारी उमेश गौतम काउंसलिंग में अपनी पदस्थापना जिला मुख्यालय के टिकुरिया टोला मांगी थी। यहां सहायक संचालक को एनसीसी की व्यवस्था का ख्याल नहीं आया और उनकी पदस्थापना कर दी। मामले की जानकारी न तो जिला पंचायत सीईओ को दी गई और न ही कलेक्टर को।