शाम ६.४५ बजे शोभायात्रा निकलेगी। प्रभु श्रीराम का विजयरथ सबसे आगे होगा। शेष झांकियां पीछे रहेंगी। समारोह में जनता भी शामिल होगी। यात्रा धवारी से प्रारंभ होगी जो अग्रसेन चौक, जयस्तम्भ चौक, बिहारी चौक, अहिंसा चौक, अस्पताल चौक, पुराना नगर निगम तिराहा, पावर हाउस चौक, हनुमान चौक, फूलचंद चौक, लालता चौक, भैंसाखाना चौक के बाद पुन: लालता चौक, गांधी चौक, बिहारी मंदिर पहुंचेगी। वहां पूजा अर्चना के बाद समापन होगा।
सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस ने भी तैयारी कर ली है। शहर में जगह-जगह पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे। हर चौराहे व मुख्य मार्ग पर बल मौजूद रहेगा। सीएसपी वीडी पांडेय ने बताया, ५०० पुलिसकर्मियों की तैनाती होगी। हर झांकी के साथ पुलिसकर्मी चलेंगे। सादी वर्दी में भी पुलिसकर्मियों की तैनाती होगी। करीब ४० सीसीटीवी कैमरे से समारोह पर नजर रखी जाएगी।
डालीबाबा रामलीला समाज द्वारा रावण दहन किया जाएगा। इनके द्वारा १०५ वर्षों से आयोजन किया जाता रहा है। यहां बुद्धू लाला लोनिया का परिवार ऐसा है जो विगत २५ साल से रावण के पुतले का निर्माण करता आ रहा है। दावा किया गया है कि इस बार २५ फीट के रावण का दहन शाम ४.३० बजे किया जाएगा। पुतला दहन के बाद प्रभु श्रीराम का विजय जुलूस निकाला जाएगा।
अग्रसेन चोक, जयस्तम्भ चौक, बिहारी चौक, अहिंसा चौक, अस्पताल चौक, पुराना नगर निगम तिराहा, पावर हाउस चौक, हनुमान चौक, फूलचंद चौक, लालता चौक, भैंसाखाना चौक के बाद पुन: लालता चौक, गांधी चौक, बिहारी मंदिर में पूजा अर्चना के बाद समापन होगा। झांकी में राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान रहेंगे।
श्रीबिहारी रामलीला का मंचन सुभाष पार्क में निरंतर चल रहा है। शुक्रवार की रात अहिरावण वध, मेघनाथ वध, कुंभकरण वध के प्रसंग को प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही रामलीला मंच के अंतिम प्रसंग को मंच पर प्रस्तुत किया गया।
चित्रकूट जाते समय कोठी थाने के अंदर स्थाई रावण का पुतला दिखाई देता है। इसी तरह नागौद किले के सामने भी स्थाई रावण का पुतला बना है। इन्हें मिट्टी-गिट्टी से बनाया गया। ये पुतले नए नहीं हैं बल्कि सौ साल से ज्यादा पुराने हैं। इनको लेकर तरह-तरह की कहानियां हैं।
जिस क्षेत्र में रावण का पुतला बना होता था उसका नाम भी रावण के नाम होता था। सामान्य तौर पर जिले में रावणा टोला, रमना, पुरानी लंका आदि नाम हैं। जिले के कोठी, सोहावल, नागौद, उचेहरा, मैहर, देवराज नगर एवं चित्रकूट व शहर के रावणा टोला में स्थाई रावण थे।
जहां रावण बनता था, वहीं रामलीला का मंचन होता था। इसलिए स्थाई पुतले को भी खोखला बनाया जाता था। ताकि कलाकर उसके पीछे छिपकर संवाद बोल सकें। जब रावण दहन करने का समय आता, तो पुतले में कचराभर कर जला दिया जाता था।
रामलीला में रावण वध का मंचन किया जाएगा। युद्ध क्षेत्र में प्रभु श्रीराम को बिना रथ के देख विभीषण अधीर होंगे। रामलीला में रावण द्वारा ब्रम्ह शक्ति का प्रयोग, राम-रावण युद्ध का मंचन होगा। कलाकारों के उत्कृष्ट अभिनय से दर्शकों का ज्ञानवर्धन, धार्मिक व सनातनी विधाओं से मनोरंजन कर धार्मिक वातावरण स्थापित किया जायेगा।
दशहरा के बाद भी रामलील कार्यक्रम आयोजित होंगे। भरत मिलाप पन्नीलाल चौक में होगा। व्यापारी संघ द्वारा १ अक्टूबर को शाम ७ से ८ बजे तक आयोजन होगा। ३ अक्टूबर को सुभाष पार्क में राजगद्दी का आयोजन होगा। इसमें कलाकारों व सहयोगियों को सम्मानित किया जाएगा। जानकारी बीरेन्द्र गोस्वामी ने दी।