आईटी मैनेजमेंट और अन्य कंपनियां इंटरव्यू के समय युवाओं से पूछती हैं कि वह सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट का उपयोग करते हैं । ज्यादातर का जवाब हां में होता है । इसको भले ही इंटरव्यू के दौरान कंटेस्टेंट हल्के में ले ले, लेकिन जानकारों का कहना है कि अच्छे एंप्लाई की तलाश में कंपनियां हर तरह की जानकारी जुटाने की कोशिश करती हैं । कई मामलों में ऐसा भी हुआ है कि फेसबूक पर लगातार अजीब पोस्ट डालने के चक्कर में युवाओं को नौकरी से हाथ भी धोना पड़ा है।
इंटरव्यू में पूछा जाता है कि आप सोशल नेटवर्किंक वेबसाइट का कितना उपयोग करते हैं। कंपनियां चाहती है कि उनके एंपलाई किसी विशेष विचारधारा से न बंधे हो। कई युवा राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर ही पोस्ट करते रहते हैं । कंपनियां कई युवाओं के प्रोफाइल पर जाकर उनकी पोस्ट से मानसिकता समझने की कोशिश करती हैं । जिस क्षेत्र में युवा काम करते हैं उससे संबंधित जानकारी नहीं होने और अन्य मुद्दों पर सोच थोपने की कोशिश करने वालों को कंपनी अलग नजरिए से देखती है।
ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट अधिकारी का कहना है कि कई युवाओं का इंटरव्यू तो बेहतर रहता है लेकिन सामाजिक सोच महत्वपूर्ण रोल अदा करती है जो एंप्लॉई अपने क्षेत्र से ज्यादा राजनीतिक , धार्मिक विषयों पर अपने विचार सोशल मीडिया पर व्यक्त करते हैं उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है । कई एंप्लाई वाट्सएप पर हर पांच से 10 मिनट में ऑनलाइन होते हैं उन पर भी मॉनिटरिंग सिस्टम होता है जिसका नुकसान एंप्लाई को होता है।
डॉ. एमके पांडेय, ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट डायरेक्टर, एकेएस यूनिवर्सिटी सतना