-कलेक्टर व एसपी ने पीड़ित परिवार को सौंपा 10 लाख रुपये का चेक व एक लाख नकद
पुलिस लॉकअप में मृत राजपति कुशवाहा और आरोपी थानेदार
सतना. सिंहपुर थाने में चली गोली से मृत राजपति कुशवाहा की अंत्येष्टि के लिए परिवार वाले मान गए हैं। हालांकि इसके लिए क्षेत्रीय विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को काफी मशक्कत करनी पड़ी। विधायक की पहल पर उनके आवास पर हुई बैठक में कलेक्टर व एसपी ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का चेक व एक लाख रुपये नकद सौंपा। साथ ही यह भरोसा दिलाया कि आरोपी को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर उसके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने बताया कि पूरे मामले की मजिस्ट्रेटी जांच शुरू करा दी गई है।
बता दें कि थाने में हुई मौत को लेकर परिजनों और ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। परिवारजन राजपति कुशवाहा का शव तक लेने को राजी नहीं हो रहे थे। उधर जैसे-जैसे समय व्यतीत हो रहा था, शव खराब होने लगा था, उससे दुर्गंध आने लगी थी। इस पर गांव वालों और परिवार के लोगों का यहां तक कहना था कि अंतिम क्रिया भी पुलिस वाले ही कर दें।
इस बीच एसपी सतना धर्मवीर सिंह अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के साथ मृतक के गांव पहुंचे। उन्होंने हालात का न केवल जायजा लिया बल्कि एक बार पुनः सतना कंट्रोल रूम पहुंचकर परिवार को मनाने पर विचार विमर्श किया। हालांकि पुलिस राजपति की मौत को हत्या नहीं बल्कि आत्महत्या करार दे रही है। ऐसे में राजपति के परिजनों की शिकायत के आधार पर अब तक एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई बल्कि हेड कांस्टेबल की शिकायत पर सिंहपुर थाने में जो दर्ज एफआईआर दर्ज की गई है उसके अनुसार मृतक राजपति कुशवाहा ने थानेदार की सर्विस रिवाल्वर छीन कर खुद को गोली मार ली थी।
ये भी पढें- पुलिस लॉकअप में राजपति की मौतः गरीब सेना ने MP सरकार से की ये मांग उधर पुलिस व प्रशासनिक अमले ने सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा की मांग को खारिज कर दिया है। अफसरों का कहना है कि पूरे मामले की न्यायिक जांच हो रही है ऐसे में परिजनों एवं सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा की मांग पूरी नहीं की जा सकती। बता दें कि परिवार के लोग ही नही बल्कि ग्रामीणों का आरोप है कि थाना प्रभारी ने ही नशे की हालत में राजपति पर गोली चलाई थी जिससे उसकी मौत हो गई। ऐसे में वो उनके विरुद्ध 302 का मामला पंजीबद्ध करने और सिंहपुर थाना प्रभारी रहे उपनिरीक्षक विक्रांत पाठक की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। विधायक ने भी परिजनों और ग्रामीणों की मांग का समर्थन किया था। लेकिन प्रशासन का कहना है कि जांच प्रक्रिया पूरी होने तक यह संभव नहीं हैं।