बम्हौरी निवासी ददोल दाहिया की 18 अप्रेल को असमय मौत हो गई। बेटा राजकुमार ने दाह संस्कार किया। २० अप्रेल को परिजनों ने अस्थियां एकत्रित की, लेकिन जब अस्थि विर्सजन की बात आई तो पैसा और पहुंच रोड़ा बन गई। मजदूरी कर रोटी का जुगाड़ करने वाले परिवार के घर में उस वक्त न तो इतने पैसे थे कि निजी वाहन कर सके और न पहचान थी कि जिला प्रशासन से पिता की अस्थियां प्रवाहित करने की अनुमति मिल सके। जब कहीं से किसी प्रकार की मदद न मिली तो परिजनों ने अस्थि कलश को पेड़ पर लटका दिया।
किसी ‘सबलÓ के निधन के बाद सहानुभूति दिखाने वालों की फौज खड़ी हो जाती है, लेकिन ददोल की मौत पर उसके परिजनों से किसी ने सहानभूति दिखाते हुए मदद के लिए अपने हाथ आगे नहीं बढ़ाए। चुनावी सीजन में दरवाजे पर दस्तक देकर वोट मांगने वाले सरपंच व क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने इतना सहयोग भी नहीं किया कि राजकुमार दाहिया अपने पिता की अस्थियां प्रयागराज में प्रवाहित कर सके।
प्रयागराज की अनुमति नहीं मिल रही। अस्थियां विसर्जन करवाना हमारा काम नहीं है। आप बता दीजिए कि चित्रकूट में विर्सजित कर दें।
एचके धुर्वे, एसडीएम मझगवां आपसे जानकारी मिली, हम बनेंगे मददगार
मुझे मामले की जानकारी नहीं है। आपके द्वारा यह सूचना मिली है। पेड़ पर लटक रही अस्थियां विर्सजित हो सकें, इसके लिए हम पूरी मदद करेंगे।
ओमकार सिंह, जनपद अध्यक्ष मझगवां
ददोल की मृत्यु हुई है यह जानकारी तो है पर अस्थियां पेड़ पर टंगी हैं, इसकी सूचना बिल्कुल नहीं। मंै पता करूंगा। प्रयास रहेगा कि पीडि़त परिवार की मदद हो सके।
ललित पाण्डेय, सचिव बम्हौरी