राज्य शासन ने यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील कर दिया है। विभागीय जानकारों का कहना है कि इससे सबसे ज्यादा निजी विद्यालयों की मनमानी पर लगाम लगेगी। अपने फायदे के लिए निजी विद्यालय मनमानी किताबें चलाते हैं, इतनी संख्या कर देते हैं कि उनका वजन अधिक हो जाता है। साथ ही सीबीएसई मान्यता प्राप्त विद्यालय तो स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बात भी अनसुनी कर देते हैं। लेकिन, इस आदेश में जिस तरह से मानव संसाधन विकास मंत्रालय, बाल अधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट का हवाला है, ऐसे में अब सीबीएसई और आसीएसई मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों को भी इस आदेश को मानना होगा।
विभाग ने बच्चों के बस्तों में किताबों की संख्या भी तय कर दी है। ज्यादा किताबें होने पर कार्रवाई की जाएगी। कहा गया कि राज्य शासन से निर्धारित एवं एनसीआरटी से नियत पाठ्यपुस्तकों से अधिक पुस्तकें विद्यार्थियों के बस्ते में नहीं होना चाहिए। कक्षा 1 और 2 के लिए गणित एवं भाषा विषय का शिक्षण तथा कक्षा 3 से 5 के लिए गणित एवं भाषा के साथ पर्यावरण अध्ययन विषय का शिक्षण कराने कहा गया है।
प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाई के दौरान होमवर्क का मानसिक दबाव कम करने की दिशा में भी स्पष्ट दिशा निर्देश दिए गए हैं। प्राथमिक स्तर की कक्षाओं में कक्षा 1 और 2 के लिए होमवर्क न दिया जाए।
निर्धारित वर्क बुक और शैक्षणिक संदर्भ सामग्री को कक्षा में रखने के निर्देश दिए हैं। यह भी कहा है कि बच्चों के मनोरंजन और खेलकूद को विद्यालयीन समय में पर्याप्त स्थान देना होगा।
कक्षा अधिकतम वजन
कक्षा 1 से 2 1.5 किलो
कक्षा 3 से 5 2 से 3 किलो
कक्षा 6 से 7 4 किलो
कक्षा 8 से 9 4.5 किलो
कक्षा 10 5 किलो आदेश प्राप्त हुए हैं। सभी विद्यालयों को इनका पालन करना होगा। अब तय सीमा से ज्यादा वजन या आदेश के विरुद्ध स्कूलों द्वारा मनमानी की जाएगी तो उन पर कार्रवाई होगी।
– बीएस देशलहरा, डीईओ