घटनाक्रम अब मध्य प्रदेश के सतना जिले की ही बात करें तो यहां का आलम यह है कि अहमदाबाद से इलाज करा कर लौटे वृद्ध में कोरोना के संक्रमण मिलने और उसकी मौत के बाद भी हालात सुधर नहीं रहे हैं। बता दें कि कोटर के खम्हरिया निवासी हीरालाल पटेल (68 वर्ष) लकवा, किडनी और उच्च रक्तचाप की बीमारी से ग्रसित थे। उनके परिजन पहले उन्हे लेकर जबलपुर गए। वहां सुधार न होने पर गुजरात के नडडियाद स्थित किडनी हॉस्पिटल ले गए। वहां तीन दिनों तक इलाज चला फिर वहां से उन्हें अहमदाबाद रेफर कर दिया गया। अहमदाबाद के भारती बल्लभ हॉस्पिटल के आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया। कुछ दिन बीतने पर वह जनरल वार्ड में शिफ्ट हुए। 30 अप्रैल को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। वह अस्पताल की एंबुलेंस से सीधए सतना जिला अस्पताल पहुंच गए। यहां आकस्मिक चिकित्सा वार्ड में भर्ती किया गया। यहीं उन्हें आईसीयू में भर्ती कर लिया गया।
फिर हीरालाल में कोरोना के लक्षण पाए गए तो रात 11 बजे आइसोलेशन वार्ड मे दाखिल किया गया। 2 मई को इंपेक्सियर डिजिज कंट्रोल प्रभारी डॉ एसपी तिवारी सहित स्टॉफ ने हीरालाल का थ्रोट सैंपल लिया और उसे जांच के लिए रीवा भेज दिया। 4 मई को रीवा से आई रिपोर्ट में वह कोरोना पॉजिटिव घोषित किए गए। इस पर सीएमएचओ डॉ अशोक कुमार अवधिया ने हीरालाल को जिला अस्पातल के डेडिकेटेड कोरोना हेल्थ सेंटर से मेडिकल कॉलेज रीवा रेफर कर दिया, जहां हीरालाल की इलाज के दौरान मौत हो गई। बताया गया कि हीरालाल को अहमदाबाद में ही संक्रमण हो गया था।
अस्पताल में चूक
यहां यह भी बता दें कि हीरालाल के कोरोना पॉजिटिव घोषित होने के बाद जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर व अन्य स्टॉफ के कार्यों की समीक्षा में प्रोटोकाल के उल्लंघन उजागर हुआ। पता चला कि अहमदाबाद से सतना जिला अस्पताल लाने के बाद जब हीरालाल को डॉक्टर को दिखाया गया तो उन्होंने हॉटस्पॉट एरिया और दूसरे प्रांत से आने के बाद भी सीधए आईसीयू में भर्ती करने की सलाह दे दी जबकि प्रोटोकाल के मुताबिक ऐसे लोगों को पृथक वार्ड में रखना चाहिए। कोरोना संभावित इलाकों से आने वाले मरीज के उपचार का भी अलग प्रोटोकाल है, उसका भी पालन नहीं किया गया। मरीज को आईसोलेशन वार्ड में शिफ्ट करने के बाद भी प्रोटोकाल का उल्लंघन हुआ। निर्धारित प्रोटोकाल के तहत कोरोना के लिए बनाए गए आईसोलेशन वार्ड में मरीज के भर्ती होने के बाद किसी बाहरी के संपर्क की अनुमति नहीं होती पर यहां तो न केवल उनका बेटा बल्कि पोता लगातार खाना पहुंचाता रहा।
परिजनों पर भी सत्य छिपाने का अंदेशा आशंका जताई जा रही है कि हीरालाल के परिजनों को कोरोना संक्रमण की जानकारी थी। लेकिन उन्होंने उसे बताया नहीं। कहा जा रहा है कि अहमदाबाद से जब मरीज को एंबुलेंस से जिला अस्पताल लाया गया तभी उन्होंने किडनी व अन्य बीमारियों का पर्चा तो डॉक्टर को दिखाया जिसके आधार पर उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया। लेकिन संदेह यह किया जा रहा है कि मरीज के बेटे को यह पता था कि पिता को कोरोना संक्रमण है। यह संदेह इस बात से गहरा हो रहा है कि वह अपने परिवार के अन्य लोगों को पिता से दूर रहने की सलाह देता रहा। वह सभी काम अस्पताल स्टॉफ से ही कराना चाहता रहा। इस बात की जानकारी स्टॉफ नर्स ने त त्काल चिकित्सक को दी। संदेह भी जताया। उसके बाद ही हीरालाल को कोरोना के लिए बनाए गए पृथक आइसोलेशन वार्ड में ट्रांसफर किया गया।
जांच किए बिना ही बतया कोरोना संक्रमित नहीं
सीएमएचओ डॉ अशोक कुमार अवधिया के अनुसार अहमदाबाद के किसी अस्ताल में हीरालाल के कोरोना संक्रमण की जांच तक नहीं की गई। केसशीट में भी ऐसी कोई जांच रिपोर्ट संलग्न नहीं थी। परिजनों ने भी कोरोना संबंधी जांच से इंकार किया। भारती हॉस्पिटल प्रबंधन ने यात्रा में किसी प्रकार का अवरोध न हो इसलिए केवल यह लिख दिया कि वृद्ध में कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए जबकि इसकी रिपोर्ट संलग्न की जानी चाहिए थी।