दादा सुखेंद्र सिंह स्टेडियम में जलाए जाने वाले रावण का कद हर साल पांच फीट बढ़ जाता है। इस बार यहां ३५ फीट का रावण जलाया जाएगा। जबकि पिछले वर्ष ३० फीट का रावण जला था। श्री बिहारी रामलीला समाज द्वारा हर साल कमेटी बनाई जाती है। जो सभी निर्णय लेती है।
रावण के पुतले के निर्माण में बांस, तार, सीढ़ी एवं पटाखे के साथ तकनीकि का विशेष तालमेल होता है। सुरेश सेन ने बताया कि इस वर्ष भगवान श्रीराम द्वारा रावण के पुतले पर दस तीरों से वार किया जाएगा। सभी तीरों से अलग-अलग प्रकार की आतिशबाजी होगी। रावण के पुतले में जो भी पटाखे लगाए जाएंगे, वे सभी प्रदूषण से मुक्त होंगे। इसके लिए विशेष पटाखे बनारस के शिवकाशी से मंगाए गए हैं। ताकि रावण दहन के बाद प्रदूषण न फैल सके।
रावण का निर्माण कमेटी सदस्य सुरेश सेन के मार्गदर्शन में हो रहा है। उनका साथ निखिल गुप्ता, विरेन्द्र कुमार सेन, सागर गुप्ता एवं संजीव जायसवाल दे रहे हैं। निखिल का कहना है कि मुझे इस काम में सुकून मिलता है। दशहरा के दिन हमारी कला को पूरा जिला देखने आता है।