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सतना

लो भाई मध्यप्रदेश में एक और कारनामा: मुख्य वन संरक्षक की रिपोर्ट में अवैध खनन, रेंजर की रिपोर्ट में ‘न’

रेंजर की हिमाकत: परसमनिया के अवैध खनन को लेकर लीपापोती

सतनाMar 18, 2019 / 02:28 pm

suresh mishra

Illegal mining: lo bhai madhya pradesh me ek aur karnama

Illegal mining: lo bhai madhya pradesh me ek aur karnama

सतना। परसमनिया के हरदुआ बीट के उलचा-उलची क्षेत्र के कक्ष क्रमांक 346 में अवैध खनन बड़े पैमाने पर हुआ। पुलिस विभाग की रिपोर्ट के बाद मुख्य वन संरक्षक की टीम ने भी अवैध खनन पाया पर नागौद रेंजर को खनन नहीं दिखा। उन्होंने जसो पुलिस की कार्रवाई पर ही सवाल खड़ा करते हुए अवैध खनन को खारिज कर दिया। इसी रिपोर्ट के आधार पर जिले के अधिकारियों ने अवैध खनन के पूरे प्रकरण पर पर्दा डाल दिया। यानी, सीधे तौर पर मुख्य वन संरक्षक की टीम की रिपोर्ट को ही रेंजर ने अप्रत्यक्ष रूप से खारिज कर दिया। साथ ही पुलिस के बहाने पूरे खनन रिपोर्ट को झूठा साबित कर दिया।
ये है मामला
दरअसल, मुखबिर की सूचना पर जसो थाना प्रभारी ने टीम के साथ परसमनिया पहाड़ के उलचा-उलची क्षेत्र में 30 मई 2018 को दबिश दी। वहां बड़े पैमाने पर अवैध खनन होता पाया। पुलिस ने मौके से 252 नग पत्थर-पटिया जब्त किया। जांच के बाद पुलिस ने अमकुई निवासी पद्मधर सिंह उर्फ धीरू को नामजद आरोपी बनाया। लेकिन, मामला वन भूमि से जुड़ा हुआ था। लिहाजा, 2 जून 2018 को रिपोर्ट नागौद रेंज को भेज दी। वहीं दूसरी ओर वन क्षेत्र नियंत्रणकर्ता मुनेंद्र सिंह 31 मई 2018 को जांच करने उलचा-उलची पहुंचे।
प्रकरण को दबाने का प्रयास शुरू
उन्होंने ने भी अवैध खनन पाया और अपनी रिपोर्ट स्थानीय अधिकारियों को प्रस्तुत कर दी। इसके बाद स्थानीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया। जिले के अधिकारियों ने पूरे प्रकरण को दबाने का प्रयास शुरू कर दिया। लेकिन, प्रकरण शीर्ष अधिकारियों के संज्ञान में आ चुका था। लिहाजा, मुख्य वन संरक्षक ने उडऩदस्ता टीम को भेज कर जांच कराई। 4 अगस्त 2018 व 13 अगस्त 2018 को दो रिपोर्ट सौंपी गई।
डीएफओ की सीधे तौर पर जिम्मेदारी तय
दोनों में उडऩदस्ता प्रभारी लतीफ खान ने वन भूमि में बड़े पैमाने पर अवैध खनन होने का जिक्र किया। इस रिपोर्ट के आने के बाद सतना डीएफओ की सीधे तौर पर जिम्मेदारी तय होने की स्थिति निर्मित हो गई। मुख्य वन संरक्षक ने 4 अगस्त की जांच रिपोर्ट के आधार पर 6 अगस्त को बिंदुवार जवाब तलब कर लिया। अब बचने के लिए अधिकारियों ने पुलिस की रिपोर्ट को खारिज करने का खेल किया।
पूरे मामले पर पर्दा डाल दिया
इसके तहत रेंजर ने करीब 7 माह बाद 7 दिसंबर 2018 को एक पत्र जसो थाना प्रभारी को लिखा। इसमें उन्होंने उल्लेख किया कि खुद जांच की और संबंधित क्षेत्र में किसी प्रकार का उत्खनन नहीं पाया गया है। रेंजर की इसी रिपोर्ट के आधार पर जिले के अधिकारियों पूरे मामले पर पर्दा डाल दिया है। सवाल उठता है कि रेंजर से बड़े अधिकारी की जांच रिपोर्ट को गलत ठहराया जा सकता है। लेकिन, जिले में ऐसा कारनामा किया गया है।
रेंजर की रिपोर्ट ही सही क्यों
अधिकारियों ने रेंजर की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए अवैध खनन को नकार दिया है। सवाल उठता है कि मुख्य वन संरक्षक के निर्देश पर दो बार संभागीय उडऩदस्ते ने जांच की। दोनों बार अवैध खनन पाया गया। पुलिस की रिपोर्ट में भी अवैध खनन पाया गया। वन क्षेत्र नियंत्रणकर्ता मुनेंद्र सिंह की रिपोर्ट में भी अवैध खनन पाया गया। फिर भी रेंजर पर जिम्मेदारी क्यों नहीं तय की गई? रेंजर शीर्ष अधिकारियों की रिपोर्ट अप्रत्यक्ष रूप से गलत कैसे बता सकते हैं।
पुलिस को साथ नहीं लिया
रेंजर ने 7 माह बाद पुलिस को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण को खारिज कर दिया। इतने माह तक वन अपराध भी कायम नहीं किया। लेकिन, जब रेंजर क्षेत्र की जांच करने पहुंचे, तो अपने साथ पुलिस को नहीं शामिल किए। अपने स्तर पर जांच कर डाली।
मेरे द्वारा जांच की गई, संबंधित क्षेत्र में अवैध खनन नहीं पाया गया था। पुलिस की रिपोर्ट तथ्यों के विपरीत पाई गई।
बहादुर सिंह, रेंजर, नागौद

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