फेक आईडी पर दौड़ रही 'जननी', ऑटो से जाने को मजबूर प्रसूताएं
जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी: मामला संज्ञान में आने के बाद न तो जांच शुरू हुई न लगी लगाम

सतना. संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने सहित जननी को आपात स्थितियों में तत्काल मदद के लिए राज्य शासन ने भले ही जननी एक्सप्रेस सेवा प्रारंभ कर रखी हो लेकिन जिले में इसकी उपयोगिता सिद्ध नहीं हो पा रही। हालात यह हैं कि ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में फर्जी काल करवा कर फेक आईडी के माध्यम से ज्यादा दूरी तक खाली गाडिय़ां दौड़ाई जा रही हैं और वास्तविक हितग्राही को समय पर वाहन सुविधा नहीं मिल पा रही। ऐसा नहीं कि इस मामले में जानकारी जिम्मेदारों को नहीं है, लेकिन इस पर लगाम लगाने न तो ठोस कदम उठाए गए और न इसकी जांच शुरू हो सकी है। नतीजा यह फर्जीवाड़ा अभी बेखौफ जारी है। ऐसा ही मामला सामने आया है कि जिसमें जननी एक्सप्रेस एक फेक आईडी के जरिए सतना जिला अस्पताल से बिरसिंहपुर के तिघरा तक फॉल्स मरीज लेकर आई है।
बिरसिंहपुर में परेशान होती रही जननी
सोमवार को हालात यह रहे कि बिरसिंहपुर में गर्भवती को वाहन उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे। यहां की जननी एक्सप्रेस गायब थी। कहां गई किसी को पता नहीं था, कुल मिलाकर स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर जिले में खाली वाहन दौड़ाए जा रहे हैं और जननियों को ऑटो या निजी वाहन में सफर करना पड़ रहा है। इसके कई उदाहरण सामने है जिसमें जननी एक्सप्रेस न मिलने से ऑटो में जननियों को जिला अस्पताल आना पड़ता है या फिर आटो में ही प्रसव के कई मामले सामने आ चुके हैं। यह इस खेल का नतीजा है।
ऐसे चलता है खेल
जिले में पीएचसी और सीएचसी में तैनात जननी एक्स्पे्रस में बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है। वेंडर अपना लाभ बढ़ाने के लिए फर्जी तरीके से फेक कॉलर के जरिए जननी को बुलाते हैं। इसके बाद राज्य स्तरीय कॉल सेन्टर से एक फर्जी आईडी जनरेट कर जननी को संबंधित जगह पर भेज दिया जाता है। वहां से दूरस्थ चिकित्सा संस्था पर मरीज को ले जाया जाता है। यह खेल वेंडर की मिलीभगत से हो रहा है। ऐसा ही मामला तीन-चार दिन पहले जननी एक्सप्रेस डीएच-1 का सामने आया है। इसमें जिला अस्पताल से तिघरा माजन के लिए जननी एक्सप्रेस आई। यह फेक कॉल थी। यही हाल सोमवार को बिरसिंहपुर का रहा। यहां दिन भर जननी एक्स्प्रेस गायब रही। हालात यह रही कि प्रसूताओं को यहां ऑटो करके आना पड़ा या फिर आटो से घर लौटना पड़ा।
चिकित्सकों की नहीं दर्ज होती शिकायत
फर्जीवाड़े में कॉल सेन्टर की भी मिलीभगत की जानकारी सामने आ रही। बताया गया कि इस फर्जीवाड़े की शिकायत अगर किसी संस्था के चिकित्सक राज्य स्तरीय कॉल सेंटर में करते हैं तो वहां यह कह दिया जाता है कि अगर किसी मरीज की शिकायत होगी तो दर्ज करेंगे। चिकित्सकों की शिकायत नहीं ली जाएगी। स्पष्ट है खेल बड़े स्तर पर व्यापक पैमाने पर चल रहा है।
प्रमाणीकरण में कमीशन का खेल
भुगतान के पहले लॉग बुक जिलास्तर पर प्रमाणित की जाती है लेकिन जिला स्तर के संबंधित स्वास्थ्य अधिकारी इस मामले में आंख में पट्टी बांधे बैठे हैं। आरोप है कि कमीशन के खेल में लेनदेन कर लॉग बुक प्रमाणित कर हस्ताक्षर कर दिए जाते हैं। मामले की जांच करके भुगतान किया जाता तो बड़ा खेल सामने आ जाता।
कलेक्टर ने कही थी जांच की बात
फर्जीवाड़े के खुलासे पर कलेक्टर सतेंद्र सिंह ने मामले की जांच की बात कही थी लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई जांच शुरू नहीं हुई है। नतीजा, वेन्डर लगातार खेल जारी रखे हुए हैं।
अब पाइए अपने शहर ( Satna News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज