इंटरनेशनल नृत्यांगना प्रांजलि सिंह परिहार ने बताया कि वे सैटरडे इवनिंग ही घर आईं। जनता कफ्र्यू के चलते अपनों के साथ समय बिताने को मिला। सुबह सुबह ग्रीन टी वह पर बेड पर बड़ा ही अच्छा लगा। मूवी देखी। नेटफिल्क्स पर कई सीरीज को देखा। कई महीनों बाद पूरी परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताने को मिला। ब्रेक फास्ट, लंच, डिनर साथ में लिया। भाई के साथ कैरम खेला। मां के साथ नावेल पढ़ा।
इंटरनेशनल स्केटिंग प्लेयर विशेषता जनता कफ्र्यू के दिन मैंने अपना अधिकतर समय फैमिली के साथ व्यतीत किया। अकेडमी बंद रही। इसलिए घर में ही प्रैक्टिस की। ऑफ स्केटिंग वर्कआउट व योग व्यायाम करके अपने दिन की शुरुआत की। मां के हाथों का बना हुआ स्वादिष्ट नाश्ता किया। रूटीन काम के साथ ही नावेल भी पढ़ी। ज्यादातर समय पिता के साथ लैपटॉप में पुरानी फ ोटोज, स्केटिंग के वीडियो देखें, पुराने यादगार समय को याद किया व पूरे परिवार के साथ मूवी देखी। शाम पांच बजे पूरे परिवार वालों के साथ प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अपील को समर्थन करते हुए थाली और घंटी बजाकर हमारे हीरोज जो दिन रात इस परिस्थिति में सहायता कर रहे हैं उनका धन्यवाद किया।
पर्वतारोही रत्नेश पांडेय ने पूरा दिन घर में व्यतीत किया। उन्होंने बताया कि हर किसी के पास कुछ पेडिंग काम होते हैं। फील्ड एेसी है कि दूसरे कार्यो के लिए समय नहीं मिलता है। एेसे में कल दिन बेहद खास रहा। सुबह से अपने कुछ प्रोजेक्ट में काम किया। अधूरे कार्यो को पूरा किया। भविष्य के लिए कुछ प्लान को तैयार किया। फ्री होते ही परिवार के साथ वक्त बिताया। सोशल मीडिया पर लोगों से घर पर ही रहने की अपील की।
गोल्ड मेडल गेन करने वाली प्रतिभा गर्ग कॉरोना वायरस के संक्रमण से बचाव करते हुए अपने निज निवास कोठी में ही वक्त बिताया। उन्होंने बताया कि वह हर दिन सतना कराते की प्रैक्टिस करने के लिए सतना आती थी, पर रविवार को उन्होंने घर में ही रहना उचित समझा। सुबह उन्होंने घर पर ही प्रैक्टिस की। सुबह उठकर फि जिकल एक्सरसाइज पुश अप, क्लंचेस, स्कॉट्स के साथ ही फि जीशियन द्वारा बताई गई एक्सरसाइज की। घर के कामों में दीदी का सहयोग किया। रात में 8 से 10 इवेंट की इंडिविजुअल प्रैक्टिस की।
क्लासिकल नृत्यांगना प्रीति सिंह ने बताया कि वे कल सुबह छह बजे ही उठ गई। दिन की शुरुआत योग से की। खुद ही नाश्ता तैयार किया। इसके बाद मेडिटेशन किया। इसके बाद घर में ही कत्थक की प्रैक्टिस की।बहुत दिनों बाद इंस्टीट्यूट से छुट्टी मिली इसलिए अपने जान-पहचान के लोगों से फोन पर बात की। किचन में मां और भाभी के साथ स्पेशल डिश तैयार की। सच कहंू तो बहुत दिनों बाद शहर में एेसी शांति देखने को मिली। न गाडि़यों का शोर गुल, न शोर शराबा बच चिडि़यों की चहचाहट सुनने को मिला।